वेबफा-किरण बाला

दिन भर गलियों में हम घूमेंगें 
तेरी यादों की गठरी लेकर
यही सोचा था न कि बहा देंगे
आँखों से समन्दर रो-रोकर


एक बात जान ले बेवफा
दिल तोड़कर जाने वाले
कमजोर नहीं, हम बावफा
हैं अब भी बड़े दिलवाले


दिल है कोई तमाशा नहीं
जो गलियों में दिखाते घूमेंगे 
हम तो बस यादों को तेरी
मन-मंदिर में सजाकर रखेंगे


दिल टूट गया तो भी क्या 
फिर से उसको सहेजेंगे
बन हमदर्द दर्द दे भी गया
तो महफूज उसे हम रखेंगे


              ---©किरण बाला 
                   (चण्डीगढ़)



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