विश्व हाइकु दिवस पर विचार प्रवाह द्वारा हुई ऑनलाइन प्रस्तुति

जिस तरह से कोरोना का कहर छाया है, उसी को देखते हुए सभी समाजसेवी अपना अहम योगदान दे रहें है, ऐसे में भला कलम और कलम के सिपाही कैसे दूर रह सकते है। विचार प्रवाह के कलम के सिपाहियों ने विश्व हाइकु दिवस पर एक से बढ़कर हाइकू सुनाकर अपनी ऑनलाइन प्रस्तुति दी साथ ही समाज को संदेश भी दिए। कार्यक्रम का संचालन अमोघ अग्रवाल' इंतजार' ने कियाआयोजित कार्यक्रम समूह की अध्यक्ष सुषमा दुबे की उपस्थिति में संपन्न हुआ। उन्होंने


कोरोना बना
सबका दुश्मन है
इसे भगाओ


काल राक्षस
बनकर आया है
सब डरते



 "  हाईकु सुनाए। माया मालवेंद्र बदेका ने
 "दीप उजाला
 मन घोर अंधेरा
मानव शुष्क" सुनाकर हाइकु के बारें में विस्तृत जानकारी दी। 


डॉ. मीनू पाण्डेय नयन ने 
"यह शैतान, 
तेजी से है फैलता
हैं परेशान। " 


सुषमा व्यास राजनिधी ने बेटी पर हाइकु सुनाए
"कोमल मन
रूनझुन पायल
 सुर संगम। 
आत्मा की दुआ
 देवीय शक्ति
जीवन बने रास
बेटी की आस।" 


सुषमा प्रदीप व्यास ने "पर्यावरण, बाग बगीचे लगा, प्रकृति कहे।" 
अमिता मराठे ने "हे भगवान, हम आपके बच्चे, ले लो सम्हाल।" 
मित्रा शर्मा ने "गली कूचे में, तैनात है जवान, सुरक्षा ध्यान।" स्वाति ' सखि' जोशी ने "नित वंदन, हों सर्व सकुशल, प्रतीक्षा रत।"
 हिमानी भट्ट ने "सरकार ने, किया घर में लॉक, सोच है सही।" 
सुभाष जैन ने "भूख तो लगी' पर अनाज़ नहीं, गोबर बीना।" राधेश्याम यादव सतनामी ने "धन दौलत, धरी रह जाएगी, धर्म कमाओ।" 
अमित भटोरे ने "न घबराएं, बीत जाएंगे दिन, धैर्य रखिए।" अर्चना मंडलोई ने "जीवन रूका, धूमकेतू - गहरा, संकट घना।" 
कुमुद दुबे ने "कोरोना रोग, है एक वायरस, नहीं निदान।" फसल कटी, बिक नहीं रही, दु:खी किसान"। 
शोभारानी तिवारी ने "अनुशासन, अपनाया हमने, मंजिल मिली।" ने कोरोना पर हाइकु सुनाए। 


वन्दना पुणतांबेकर ने " देश के वीर, सेवा करे अपार, बड़ा आधार। ऐसे क्षण में, भगवान रूप में, रण भूमि में। हो समर्पित, किया सब अर्पण, जीवन क्षण।" सुनाकर कोरोना योद्धाओं का आभार व्यक्त किया। 


रश्मि चौधरी ने "ये अहसास, मिल कर ना मिले, तड़पन है। मिल जाओगे, इक ना इक दिन,ये विश्वास है।"
 डॉ. दीपा मनीष व्यास ने "बहार आई, तेरे आने से प्रिय, गीत गाऊँ रे।" 
डॉ. ज्योति सिंह ने "वक्त ही सार, सबका है आधार, है निरंकार।" 
मनोरमा जोशी ने "पोथी पढ़िए, ज्ञान प्राप्त करिए, संत बनिए।" 
मनीषा जोशी ने "कुछ कड़वी, कुछ कुछ मीठी सी, नीम ज़िंदगी।" 
शोभना नाईक ने "शक्ति स्वरूपा, नहीं है वो अबला, सृष्रि नियंता।" और माधुरी व्यास नवपमा ने "क्षणिक दु:ख, फिर खिल सा उठा, सबल मन।" द्वारा स्वरचित हाइकु सुनाए। 


लाजपत चावड़ा अभिलाज ने अंग्रेजी में हाइकु लिखें।


 


सुषमा दुबे इन्‍दौर



 


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