एक दिन आपका में अमिता मराठे की तीसरी कविता
पुराने खाते के
जर्जर बक्से में
स्थिरता से स्थित
होती है ये यादें
सुख के मायने में
दिल बहलाने में
भाव पुष्प देने में
आगे होती है ये यादें
अहिस्ते से
एक-एक कर
खुलती मुस्कराते
चली आती है
बीते पलो से
पुनः हम गुजरते
लगता है भले
निहारे सुख पाते
प्रसंग पुनः आये
वर्तमान न माने
पुराना भूलना है
अब नये मे जीना है
अमिता मराठे
इन्दौर
मौलिक
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