खाकी-सुरेन्‍द्र

अमन के पिता पुलिस-कर्मी है  और कांस्टेबल के पद पर कार्य कर रहे हैं. अमन शहर के सरकारी कॉलेज मे पढ़ता है.लेकिन कोई भी अमन से दोस्ती नहीं करना चाहता था क्योंकि अमन एक पोलिसवाले का बेटा है. शहर में  पोलिस कर्मचारीयों की छवि बहुत ख़राब बनी हुई है.अमन बहुत अकेलापन महसूस करता था. लेकिन कुछ दिन से अमन की ज़िन्दगी में बहुत  बदलाव आ गए हैं. आज अमन सबकी नजरों में स्टार जैसा है कारण जबसे कोरोना वायरस फैला है खाकी(पोलिस ), सफ़ेद (डॉक्टर ) और नीली वर्दी (सफाई कर्मचारी ) वालों की ही ड्यूटी चल रही है और इन्होने शहर को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी है. इनके मानवता के लिए त्याग और समर्पण ने इन्हें जनता की नज़रों में नायक बना दिया है. और इसी वजय से अमन को भी सम्मान और दोस्त मिलने लगे हैं. अमन को भी पता चल गया है की लोगों को खाकी का महत्त्व पता तो चला है लेकिन काफ़ी देर बाद.खाकी ने अपनी पुरानी छवि को बदला है. 


स्वरचित मौलिक रचना 



द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता "713/16, झज्जर (हरियाणा )संपर्क +91-9466865227



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