माँ-शुचि 'भवि'

सब कहते हैं 
आप नहीं हो
फिर मेरे साथ कौन है?
कौन है जो झलकता है मेरी हँसी में
माथा पापा के जैसा
और होंठ आपके जैसे.....
फ़ोन पर अब भी धोखा होता है
कितनों को ही
पहले जैसा ही
कि माँ ने उठाया फ़ोन
या बेटी ने,,,,
आज भी मेरे पकाए खाने में
आपके हाथों का स्वाद आता है
भजन जो हम साथ मिलकर गाते थे
उन सभी भजनों में
आज भी मेरे कंठ से
आपकी आवाज़ साथ आती है
हाँ 
फ़र्क़ बस इतना है
आप स्थूल से सूक्ष्म हो गयी हो माँ,,,


याद क्या करूँ आपको और किस रोज़ करूँ
और क्यों करूँ


पलकों का झपकना और साँसों का आवागमन
कोई याद करता है क्या??????????


बस
यूँ ही मेरे धर्म और कर्म में सदा साथ रहना


माँ
ओ मेरी माँ,,,,,,


बिटिया
शुचि 'भवि'
भिलाई,छत्तीसगढ़


 



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