आदरणीय इंद्र देव जी -अखंड गहमरी

आदरणीय इंद्र देव जी
आपके चरणों में अखंड गहमरी का कोटि कोटि प्रणाम।
हम सब पृथ्वीलोक वासी आपके राज्य में सुखी  हैं आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप भी स्वस्थ, सुखी होगें।
वैसे लगता है कि या तो आप की मानसिक स्थिति कुछ ठीक नहीं या फिर आप पर तुलसी दास जी की समरथ के नहीं दोष गोसाई बात को प्रमाणित कर रहे हैं या फिर लगता है कि आप ने भी अपने गुप्तचरों की नियुक्तियां आरक्षण पद्धति के आधार पर कर दी है जो आपको सत्य रिपोर्ट नहीं दे पा रहे हैं। यदि आपकी मानसिक स्थित ठीक नही हैं तो आप गाजीपुर आ जायें यहाँ डा. राजेश सिंह बिना आरक्षण वाले हैं वह आपका सही इलाज कर देगें,क्योंकि जो अंक वह पाये हैं वह असली है। मुझे इन तीन बिंदुओं पर इस लिए प्रकाश डालना पड़ रहा है क्योंकि लगता है आप भी हमारी सरकार की तरह तुष्टिकरण की नीति अपनाये हैं। अमीरो द्वारा किये जा रहें प्रर्यावरण के दोहन की सज़ा आप भारत में राजनीत की धुरी कहे जाने वाले किसानो और मजदूरो को दे रहे हैं।
आप ने जिस पर बैशाख माह को सावन भादो बना दिया है बेचारे किसान मजदूरों का तो जीवन ही बर्बाद होने के कागार पर है। आपको भी लग रहा होगा कि इस लाकडाउन में अखंड गहमरी शराब कहाँ से पा गया ? जो बहकी बहकी बातें कर रहा है। इंद्र देव जी लाकडाउन तो अमीरो , सेलीब्रेटीयों और नेताओं के हाथ की कठपुतली है जैसे चाहा नचा दिया। किसानो और मजदूर तो नियमों के मार खा करती अपने थाली में  एक दाने अन्न को तरसते हैं। जवान बेटी के ब्याह की आशा तो खड़ी फसलो के स्वरूप पर तय करते हैं। सपने जब स्वरूप पर निर्भर हो जाते हैं तो स्वरूप के टूटने पर सपने अखंड नही खंड खंड हो जाते हैं। बताई देव राज इंद्र ये बेमौसम बरसात कर जिन किसान मजदूरो के खेतो का स्वरूप बिगाड़ कर उनके सपनो को सपना बना रहे हैं उनकी खता बस बता दीजिये। अपने इस पागल बऊचट गहमरी को इतना बता दीजिये कि धरती पर उनके मालिकों द्वारा वादो की चासनी में लपेट कर, दिखावे के मंच से दिये गये जख़्मों में कुछ कमी रह गई थी जो आपने भी तैयार फसलों को जलमग्न कर दिया।
महाराज आपके सामने तो यह मानव कुछ नहीं, विधि का विधान कह आप सौ बातों का एक जबाब दे सकते हैं, परन्तु अपराध क्षमा मत करीयेगा मेरा  मैं पूछना चाहता हूँ इन्द्र देव कि.विधि का विधान केवल गरीबो के लिए है या समर्थवान लोगो के लिए भी है।
चलीये भगवन चलता हूँ, अधिक क्या लिखूँ, अधिक बोलूँगा तो आप कहेंगें बोलता है। जरा विचार करीयेगा किसानो मजदूरों पर भी। उनके सपने पर भी।


आपका पुत्र 
अखंड गहमरी।


 



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