बढ़ती उम्र में सपनों को-नीता

बढ़ती उम्र में सपनों को पूरा करने का अधिकार नहीं के विरोध में


स्त्री हो या पुरुष दोनों के लिए याद रखने वाली बात यह है कि दुनिया में खूबसूरत सपनों को बरकरार रखने के लिए जिस लय ताल की दरकार है वह बराबरी के रास्ते से ही आती है बढ़ती उम्र में सपनों को पूरा जरूर करें। महिला पुरुष दोनों को सपनों को पूरा करने के रास्ते पर अपने कदम रखने का प्रयास जरूर करना चाहिए उम्र को दरकिनार करके। वर्तमान समय में बहुत कुछ बदला है किसी की परवाह ना करते हुए समय के साथ हमें जरूर चलना चाहिए नहीं तो हम उम्र के ढलान पर और पीछे रह जाएंगे
दुनिया में कई उदाहरण भरे पड़े हैं जिन्होंने उम्र को मात देकर कई सफलताएं हासिल की है खेल जगत फैशन मॉडलिंग आदि हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया है। बढ़ती उम्र वालों को बिल्कुल भी परेशान होने की जरूरत नहीं जब जागो तभी सवेरा। मैंने तो अपने आसपास कई ऐसे लोगों को देखा है जो 50 से ऊपर की उम्र के होकर भी युवा वर्ग को मात दे रहे हैं। लेकिन कुछ लोगों मैं अभी जागरूकता नहीं आई है जिम्मेदारियों का लबादा ओढ़कर वह अपने सपनों को पूरा नहीं कर पाते। जीवन में चीजें खुद चलकर नहीं आती अगर कुछ हासिल करना चाहते हैं तो प्रयासों में आपको सौ फ़ीसदी देना होता है माना कि उम्र के ढलान पर शरीर साथ नहीं देता पर इसका भी विकल्प तो है।
महिलाएं यदि प्रयास करेंगी तो सहजता से इमोशनली इंटेलीजेंट बन पाएंगी। यह भी सत्य है की महिलाएं बच्चों और पति के इमोशंस को बखूबी संभाल लेती हैं लेकिन उनकी खुद की बात की जाए तो वहां केवल त्याग होता है अपने सपने अपनी परवाह नहीं करती ऐसे में स्वयं को भावनात्मक रूप से बेवकूफ समझने लगती हैं अतः एक बार त्याग को त्याग कर सपनों के आसमान में उड़ना चाहिए फिर देखिए नजरें और नजरिया दोनों बदल जाएंगे अतः उम्र कोई भी हो सपने पूरे करने का जज्बा अपने अंदर जरूर पैदा करना चाहिए।
     ‌        नीता चतुर्वेदी
             विदिशा(म.प्र.)



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