नंदा कॉलेज के कैंपस में कार पार्क करने पार्किंग में गई, कार को लगाकर, गाड़ी से निकली ही थी कि उसे गर्ल्स होस्टल से जो कि कॉलेज कैम्पस मे ही था, वहाँ से कुछ अज़ीब सी आवाज़ें सुनाई दी ! घड़ी में. समय देखा क्लास का समय होने वाला था, बेल लगने मे मात्र पाँच मिनट बाकी था! वो वक़्त की बहुत पाबंद और अनुशासन प्रिय है! लड़कियाँ डरती भी हैं, उसका सम्मान भी करती हैं और अपनी समस्या भी लाती हैं जो नंदा चुटकियों मे हल कर देती है । बहुत ही आकर्षक व्यक्तित्व की मालकिन नंदा पर सारी लड़कियां, औरते तक उसकी नकल करती और जबतक आँखों से ओझल न हो जाती तबतक उसे ही देखती " हाय मैडम गजगामिनी" कुछ लड़कियां तो ऐसे लंबी साँस लेकर कहतीं की दबी आवाज़ भी उसके कानो तक पहुंच ही जाती... किन्तु वो चुपचाप आगे बढ़ जाती, कोई कहती ये अभी इतनी जानलेवा हैं तो कॉलेज के दिनों मे तो... बीच मे दूसरी बोलती यार शुक्र मनाओ की ये गर्ल्स कॉलेज में हैं वर्ना जाने क्या होता, इस तरह की कई बातें आते जाते उनके कानों में पड़ती, कुछ तो उनकी सहकर्मी भी पूछती " नंदा तू साड़ी कैसे बांधती है यार, समझ में नहीं आता कि तूने उसे पहन रखा है या साड़ी ने तुझे पहना है, कमाल की लगती है तू साड़ी की कीमत बढ़ा देती है पहन के " एक बोलती तो सब हामी भारती...." आज क्लास में नहीं जाना है क्या आपलोगों को..." नंदा कहती "यार हद है तू.. हम इतने अच्छे मूड में तुझसे बातें कर रहे हैं और तू, थैंक्स बोलने के बजाय ख़ुश होने के बजाय किसी दादी माँ की तरह... सारी एक साथ हा में हाँ मिलाती तो नंदा मुस्करा कर क्लास मे चली जाती कहती " ये वक़्त काम करने का है, हँसी मज़ाक का नहीं, कर्म को पूजा समझिए आपलोग चलिए काम पर."! किन्तु वो और उनका बोलना जारी रहता जब तक वो क्लास में नहीं जाती तबतक प्रतिदिन की यही दिनचर्या...
नंदा लंबे डग भरती ल़डकियों के पास पहुंचीं तो एक लड़की बदहवास सी घबराई हुई उसके पास आई और..".मैम वो वो दिव्या, दिव्या ने ख़ुद को रूम में बंद कर लिया है और दरवाज़ा नहीं खोल रही है सुबह से हमलोग परेशान हैं " वो रो रही थी दोनों अच्छी सहेलियाँ हैं एकसाथ ही रहती हैं किन्तु.. " क्यों बंद कर लिया है. वो बहुत अच्छी लड़की है पढ़ाई में भी क्लास में भी फस्ट आती है, किसी से झड़प हुई है क्या .?". नंदा ने पूछा " नहीं मैम वो तो सबके झगड़े सुलझा देती है किसी से नहीं झगड़ती.. "सारी ल़डकियों ने एक साथ कहा नंदा पंद्रह साल से है यहाँ ये पहली घटना है l उसके आने से पहले ल़डकियों मे उद्दंडता थी पर जब से वो आई सब सुधर गई l. प्राचार्या भी नंदा से ख़ुश रहती हैं.!
"आपको वो बहुत मानती है क्योंकि उसकी माँ बचपन मे ही गुजर गई थीं आपके प्यार से पढ़ाने और बात करने से वो ख़ुश रहती है, कहती है जी चाहता है मैं इन्हीं के साथ रहूँ ये जो बोले मैं करूँ..!"" ठीक है आप सब अपने क्लास में जाइए मै आती हूँ।" सारी लड़कियाँ चली गईं नंदा ने आवाज़ दी " दिव्या, दिव्या " थोड़ी देर में धीरे से उसने दरवाजा खोला सिर झुकाए खड़ी हो गई आँसुओं से सराबोर नंदा ने सिर पर हाथ रखा " क्या हुआ बेटा आप क्यों रो रही हैं ? "नंदा के इतना कहते ही दिव्या फफके रो पडी देर तक रोती रही। " अब बस पहले बात बताओ " नंदा मैम ने कहा " मैम मुझे गौरव ने धोखा दे दिया चार साल से हम दोस्त थे उसने कहा वो मुझसे प्यार करता है और मुझसे शादी करेगा। मुझे बीवी कहके ही बुलाया करता बोला मुझसे क्या परदा मैं इस बार गाँव जाऊँगा तो शादी की बात करूँगा उसने कहा बिन फेरे हम तेरे, ये दिखावटी बाते हैं प्यार सच्चा होना चाहिये और उसने दो माह पहले अपने जन्म दिन के दिन मेरे साथ... और वो रोने लगी, जब मैं उससे मिलने गई तो पता चला गांव गया है, और उसने वहाँ... "!" और उसने शादी करली किन्तु तुमसे प्यार करता है कायर " उसकी बात काटकर नंदा मैम एक साँस में बोल गईं." मैम आपको कैसे...?".दिव्या चौक कर बोली अब तुम मेरी बात सुनो अपनी पढ़ाई में ध्यान लगाओ और अपने पैर पर खड़ी हो जाओ ऐसे दुष्टों से दूर रहो आने वाले बच्चे की चिंता मत करो उसे मैं सम्भाल लुंगी तुम किसी को बताना मत... अब चलो क्लास में।
नंदा ने क्लास लिया, फिर घर चली गई रास्ते भर सोचती गई..वो .बीस साल पीछे चली गई...नई नई कॉलेज में आई थी, सारी लड़कियों ने इसे ही अपना लीडर बनाया था... बिना उसके कोई काम नहीं करती थी, चाहे कुछ भी हो सबकी चहेती भी थी...
" सुनो मिस्टर ये हम ल़डकियों की सीट है, आप उस तरफ़ जाइए या पीछे..!" एक लड़का उसकी जगह पर आ के बैठ गया था कृष्णा नाम था उसका l ये हर रोज होने लगा, उसने एक दिन ख़ूब सुनाया.. " सारी " कृष्णा ने कहा वो हमेशा चुप रहता, एक दिन उसने कॉलेज गार्डन में झूले पर अकेली बैठी नंदा को देख उसके पास चला गया - " क्या मैं बैठ सकता हूं" कौन सी नई बात है तुम तो बिना बोले ही पहले से मेरी जगह पर बैठ जाते, हो बैठो ". नंदा अपनी किताब पढ़ते-पढ़ते ही कहा, " नंदा मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ," उसने नंदा का हाथ पकड़ लिया, नंदा अचानक इस तरह कृष्णा के व्यवहार से अचकचा गई. और वहाँ से उठ कर चली गई l रातभर उसे नींद नहीं आई, सुबह कॉलेज गई और फिर भूल गई एक दिन अचानक कृष्णा पर नजर गई बीमार सा दाढ़ी बढ़ी हुई वो एकपल के लिये पहचान नहीं पाई.। सिर झुकाकर आगे बढ़ गई, लेकिन कुछ अज़ीब लगा कि क्या ये सही है..? आज फिर वो झूले के पास आया नंदा को झूले पर बैठना बहुत पसंद था, वो आकर कर बोला मुझे बचा लो मैं नहीं जी, पाऊँगा बिना तुम्हारे, तुम्हारा सहारा चाहिए। वो फिर वहाँ से बिना बोले चली गई, कुछ ही दूर गई होगी कि कुछ धम्म से गिरने की आवाज़ आई पीछे देखा तो "अरे..."! कृष्णा गिर गया था उसने झिझकते हुए उसे उठाना चाहा तो उसका शरीर तवे सा तप रहा था उसको सहारा देकर हॉस्टल के कमरे में ले गई l पानी की पट्टी सिर पर रखने लगी बुखार उतरा तो वापस अपने हॉस्टल में आ गई अब दोनों के मिलने का सिलसिला जारी l
उनका प्यार परवान चढ़ा ऐसा की एक दूसरे के बिना रहना मुश्किल, नौबत शादी तक आ गई, उनकी पढ़ाई का आखिरी साल था कॉलेज भी दो माह के लिए बंद होने वाला था नंदा उदास थी कृष्णा समझाने लगा अरे पत्नी महोदया मैं कौन सा हमेशा के लिए दूर जाऊँगा, शादी तो आपसे ही करनी है न..। उस दिन उन्होंने सारी हदें पार कर दी, ये नंदा की सबसे बड़ी गलती। किंतु अफसोस नहीं था भरोसा था उसे शादी होनी है इसलिए दोनों छुट्टी मे अपने घर चले गए, नंदा और बाकी सब वापस आ गए किन्तु कृष्णा नहीं आया, एक माह और बीत गया, नंदा समझ नहीं पा रही थी क्या करे, फोन करने पर उठा नहीं रहा है l दोस्तों से पता चला कि उसने तो शादी कर ली " क्या शादी किसी और से....!!!"नहीं ऐसा नहीं हो सकता है "
फ़ोन लगया इस बार लग गया बात हुई, बताया उसने माँ की जिद के सामने मैं...उसकी बात पूरी नहीं हुई,, माँ... फ़िर तुमने मुझसे ऐसा क्यों किया मैंने तो मना किया था न, किन्तु तुम मरने लगे थे, मेरे साथ खिलवाड़ क्यों किया?? मेरी जिन्दगी... तुमने "वो रो पडी " मेरी जान, मैं आज भी उतना ही प्यार करता हूँ और तुमको भी मैं रखूँगा.. "उसने बोला " शअटप, कायर मुझे रखैल बना के रखोगे दोनों हाथ मे लड्डू लेना चाहते हो, नहीं ऐसा नहीं हो सकता बेवफ़ा हो तुम, धोखेबाज हो धन के लालच में तुमने मेरे साथ..." न जाने क्या - क्या बोलती चली गई आज इतने सालो बाद फिर वहीं सब।
ये मर्द की जाति ही ऐसी होती है किसी के नहीं होते मतलबी, स्वार्थी होते हैं। अचानक ब्रेकर से उसकी कार टकराते टकराते बची, घर भी आ गया। अबतक उसने शादी नहीं की l घृणा हो गई थी उसे इतनी बड़ी " बेवफाई." के बाद...आँखों के कोने भीग गए थे वो नहाने चली गई और दिव्या के भविष्य के बारे मे सोचने लगी...!
इंदु उपाध्याय पटना
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