भाई का दुलार-प्रिया सूफी

एक दिन आपका


भईया का दुलार, मिलेगा हम को पावन।
राखी का त्यौहार, सुहाए है मनभावन।


रिश्ता का संसार, खिला है खूब सवाया,
धागों में है प्यार, बांध मन को भी लाया।
मायके का आँगन, तुम्हीं रहते सजाए,
रखते इतना ध्यान, मात की याद न आए।
भैया है अनमोल, मिलेंगे हमको सावन...!
राखी का त्यौहार....!


अक्षत रोली भाल, थाल में राखी लाएं,
शगुन मनाएं लाख, घर आँगन को सजाएं।
मन में है उल्लास, प्रीत की जोत जली है,
महक रहा संसार, मधुर सी रीत पली है।
देती बहना आज, दुआएँ लाख मग्न मन...!
राखी का त्यौहार...!


धन दौलत व्यापार, नहीं रिश्तों में लाना,
करना बस उपकार, हमें हर बार बुलाना।
खिला रहे गुलज़ार, सदा ही गुलशन महके।
रखना इतना मान, स्नेह पग कभी न बहके।
चाहूँ बस उपहार, न आए कोई अनबन...!
राखी का त्यौहार....!


 


डा0 प्रिया सूफी, होशियारपुर पंजाब



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