रमा आज कुछ थकान महसूस कर रही थी ।जैसे ही सोनू का फोन आया कि मां मोनू और मैं दोनो घर आ रहे हैं।सुनते ही रमा का मन क्षण के लिए बहल गया था।सोनू जाॅब के लिए दिल्ली चला गया था ।मोनू आगे की पढ़ाई के ल मुबंई चली गई थी ।इनके पापा और मैं कभी बहुत उदास महसूस करते थे।दोनो की हर हरकते बिखरी हुई थी ।
दोनो के सामने सवाल था मां के लिए क्या उपहार खरीदा जाये ।बाजर पूरा देखने के बाद भी दोनो को कुछ समझ में नही आया था।
जिस मां ने अपनी सब इच्छाओ को समेट कर हमारे लिए संग्रह ऐसा किया है जिसमें कोई कमी नहीं थी।
दोनो ने ही आते मम्मी पापा के चरण छूऐ ।मदर्स डे की खुशियाँ देते हुए मोनू ने एक बन्द पैकेट मां के हाथ में थमा दिया था ।रमा सोच रही थी ।
भोजन मे क्या बनाया जाय।उतने में ही मोनू सोनू ने रसोई का काम सम्हाल लिया।आज आपके पसन्द की भिंडी की भुजिया बन रही हैं।मोनू अच्छा बनाती हैं।सोनू ने देखा मां की आंखो की कोर से आंसू टपक पडे थे ।
एक दिन ऐसा था जब घर में भिंडी के लिए तरस रहे थे ।जिसे मां पसन्द करती थी।रमा ने कहा बस अब कुछ नहीं चाहिए तुम दोनो का साथ और ये भिंडी की भुजिया का मजा ।मां को खुश देख हम सब खुश हो गये थे।मां ने जब पैकेट खोला तो खुलकर हस पडी थी।
अमिता मराठे
इन्दौर
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