चौका बरतन-साहिल

चौका बरतन कुल कर सुतली 
उठे में तनकी देर भईल
भोरे भोरे मेहरी आ के 
लस्सी नीयन फेंट गईल l 


फोन लगवली अधिकारी के 
साहेब ई का अंधेर भईल
सबसे बड़की बेमारी त 
हमरा घरही में फइल गईल l 


बहुत भईल इ लॉकडाउन अब
साहेब जल्दी बुलवाई।
अइसन न हो ये साहेब हम
खटते खटते  मरि जाईं l 


ओहर से हमरे साहेब के
सुनी का जवाब मिलल।
झाड़ू पोंछा करत बानी हो 
खाये के ना कबाब मिलल


साहेब क इ बात साहिल के 
दिल के अंदर  बेंध गईल
कोरोना के  फेर में देखी
मरदन के का हाल भईल ll 


-----संतोष साहिल, गाजीपुर की कलम से 


 



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