धीरे-धीरे-अनुरंजन

धीरे - धीरे  से  पागल  क्या करता है
दो पैरों में अब पायल क्या करता है।


इतना भी  आसान नहीं है मोहब्बत
मोहब्बत में  तो घायल  क्या करता है।


मेरे  इश्क़  से  तो प्रिय  को  दुख होता है
फ़िर इश्क में प्रिय का आँचल क्या करता है।


उधर अभी देखो  तो  दोस्तों  ऊपर में
काला- काला अब बादल क्या करता है।


बहुत कभी  यादों  आती  है उसकी ना
दिल में धीरे से  हलचल क्या करता है।


इश्क़  कर  बोलो थोड़ी-थोड़ी समझी ना
हाँ,इश्क़ की फरियाद अँचल क्या करता है।



     अनुरंजन कुमार "अँचल"
        अररिया, बिहार



 


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