दिलजले-इंदु


बीती सदियाँ उनसे बिछड़े,दर्द का आलम आज भी है...! 
दिल करता क्यों उनकी बातें, उनका मौसम आज भी है...!!


क्यों आतीं हैं यादें पल पल, ज़ख़्म हरा तो आज भी है..!
 बरसे नैना बात बात पर,निर्झर झरना आज भी है...!!


आना था जब वो नहीं आए ,आहट उनकी आज भी है...! 
बाद मुद्दत के आए हैं वो, रिमझिम सावन आज भी है...!!


उनके मन की वो ही जाने,  मन मेरा उनका आज भी है...! 
उनको उनका  अर्पण कर दूँ, उनका सबकुछ आज भी है..!!


मन का आँगन सुना - सुना ,उर चित्कारता आज भी है ..! 
सारे जग  में लूट मची है, मन वैरागी आज भी है...!!



इंदु उपाध्याय, पटना



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