एक दिन आपका
हे महाकाल
बस एक सवाल
कैसे किया तुम ने
मेरा नन्हा सा बालक
हलाल
वो मासूम सी आँखें
वो भोला सा चेहरा
वो नन्हें से पांव
वो माँ के समक्ष झुकता
उन्नत भाल
हे महाकाल
बस एक सवाल।
आखिर क्या था मन में
घोंपा त्रिशूल सुतन में
किया विलग सिर
बस धड़ से,
आखिर क्यों गुस्साए तुम
बालक पर झल्लाए तुम
क्या सच में दोष था
उसका बड़ा
माँ की सुरक्षा में
नन्हा सा
प्रहरी था खड़ा
किया पल में मेरे
मातृत्व का हनन
ठहरी रही पृथ्वी
रोया न प्रस्तर गगन
हाय बन भी न पाई
मेरी ममता ढाल
हे महाकाल
बस एक सवाल...!
सच कहना प्रभो
आज पूछती है माँ
मातृ शक्ति से उत्पन्न
मेरा नन्हा शैतान
जिसके जन्म में
पिता का था नहीं
कोई अवदान
कहीं यही तो नहीं था
पुरुष का दम्भ
किया मेरा अंश
हाय खंड-खंड...
सच कहो मेरा पल भी
आया न ख्याल
हे महाकाल
बस इतना सवाल...!
आप ही की शक्ति
भक्ति हैं आप
आप ही हैं जीवन
आप ही हैं काल
कैलाश वासी
आप सामगान
माया अधीश्वर
आप गंगवान
करूँ मैं प्रार्थना
हे कृपा-निधान
काट माँ का हृदय
छीन लिया मेरा बाल
हे भक्त वत्सल, हे भुजंग माल
कभी न करना किसी
माँ का यह हाल
हे महाकाल...
बस इतना सवाल...!!!
डॉ प्रिया सूफ़ी होशियारपुर पंजाब
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