गुलाब- रीता

गुलाब सा मुखड़ा तेरा और गुलाबी गाल।
नयनों से छलकती मधुशाला ओंठ सुर्ख लाल।।
चलती हो ऐसे गोरी ज्यूँ नागिन की चाल।
रूप सलोना देखकर आशिक हुए बेहाल।।
ओंठ हिले शब्द तेरे करते जादुई कमाल।
गुजरती हो जिस राह से तुम करती हो धमाल।।
पाने को तुम्हें शहर में मच जाते हैं बवाल।
जुल्फें काली घटाएँ लाए सावन का ख्याल।।
गुलाबी बिंदिया माथ सजाकर दमके है भाल।
बालों में गुलाब उस पर तेरी चितवन चाल।।



©️मौलिक
रीता जयहिन्द



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