हमसे इतना भी क्या इताब^.(गुस्सा )
थोड़ा सा हटादो हिज़ाब^.(घूंघट)
ज़ालिम तेरी जवानी,
क़यामत तेरा शबाब.
तेरा चेहरा है ज्यों गुलाब.
मखमल सा जिस्म देखकर
बदला है ये दोआब.
मलमल के जिस्म पानी से
तूने बना दिया शराब
तेरा चेहरा है ज्यों गुलाब.
बागों में फैली रंगत का
कैसे करुँ हिसाब.
बहारों में ऐसे घूमकर
हुआ फूलों का जी खराब
तेरा चेहरा है ज्यों गुलाब.
मैं तो बेकाबू हो गया
मेरे कर्मों का है अज़ाब^.(पाप के बदले मिले सुख )
तुझको बनानेवाला भी
ना ला सका कोई जवाब.
तेरा चेहरा है ज्यों गुलाब.
द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता"
झज्जर (हरियाणा )
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