हम दो जन-सुरेन्‍द्र

 


मिस्टर राज गुप्ता और मिस्टर रमेश सैनी दोनों करीब बीस सालों से बिज़नेस पार्टनर हैं और बहुत अच्छे दोस्त हैं. बिज़नेस के उतार चढ़ाव से लेकर पर्सनल प्रॉब्लम्स तक एक दूसरे से डिस्कस करते हैं. पिछले कुछ दिनों से मिस्टर राज गुप्ता कुछ परेशान चल रहे थे और बिज़नेस पर भी ज़्यादा ध्यान नहीं दे पा रहे थे. मिस्टर रमेश सैनी ने उनसे वजय पूछी. मिस्टर राज गुप्ता ने बताया "रमेश भाई आजकल उदिति को लेकर परेशान रहता हूँ. पढ़ाई पूरी करके आ चुकी है. अब उसकी शादी करना चाहता हूँ. और शादी के लिए उसे जो भी लड़का दिखाता हूँ वह उसे ही रिजेक्ट कर देती है.अब जवान लड़की है इसलिए उसके साथ कोई  जबरदस्ती भी नहीं कर सकता. समझ नहीं आता कि उसका क्या करूँ. "
"राज भाई आपकी समस्या तो गंभीर है लेकिन मैं आपको एक सुझाव दे सकता हूँ अगर आपको बुरा ना लगे तो "
"रमेश भाई कैसी बात करते हो आप.बताओ क्या कहना चाहते हो "? 
"राज भाई मेरा बेटा सुरेन भी शादी के लायक हो गया है और बिज़नेस में भी पैर जमा चुका है. अगर हम अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दे तो कैसा रहेगा? "
"रमेश भाई आपने तो मेरी समस्या का समाधान ही कर दिया. मैं उदिति से और उसकी माँ से डिस्कस करके आपको शाम तक फ़ोन करता हूँ."
मिस्टर राज गुप्ता ने घर पर डिसकस किया और उदिति भी मान गयी लेकिन उसकी एक शर्त थी कि वह शादी से पहले एक बार  सुरेन से मिलना चाहती   है.मिस्टर राज गुप्ता ने रमेश जी से हामी करवाली.


आज उदिति और सुरेन शहर के हिलटन होटल में मिलने आए हैं. 
"हैलो उदिति ... कैसी हो? "
"आई ऍम फाइन... सुरेन "
"देखो उदिति तुम मुझसे जो भी पूछना चाहती हो पूछ सकती हो. मुझे कुछ नहीं पूछना क्योंकि ये फ़ैसला मेरे पापा जी ने लिया है और आजतक मेरे लिए उनका कोई भी फ़ैसला गलत नहीं हुआ. "
"सुरेन... मुझे ख़ुशी है कि तुम आपने पेरेंट्स की हर बात मानते हो.दरअसल मुझे तो सिर्फ ये कहना था की जिससे भी मेरी शादी हो वो लड़का अपनी खुद की आइडेंटिटी रखता हो. अभी तक जितने भी लड़कों से मैं मिली वो सब अपनी लाइफ से संतुष्ट हो चुके थे और आगे कुछ नहीं करना चाहते थे. लेकिन तुम्हें तो मैं बचपन से देख रही हूँ. तुम में आगे बढ़ने की प्रबल भूख है. इसलिए मुझे तुमसे शादी करने में कोई परेशानी नहीं है. "
"उदिति तुम मेरे लिए एक अच्छी जीवन-साथी सिद्ध होगी. आज सारा दिन हम दो जन एकसाथ गुजारेंगे और एक-दूसरे को जानेंगे.ये हमारी विवाह पूर्व डेट मान लो... "और इतना कहकर सुरेन हँसने लगा और उदिति भी उसका साथ देने लगी.
"हाँ सुरेन हम दो जन एक दूसरे का जीवन बनने जा रहे हैं ". 



स्वरचित मौलिक रचना. 


द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता"
झज्जर (हरियाणा )



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