धन के बिना इस दुनिया में जीना कठिन है। पढ़ाई लिखाई किस काम की यदि पैसा नहीं मिला तो सब कुछ बेकार कहते रोशनी ने अपनी मां से कहा मैं ऐसी कम्पनी में नौकरी करना चाहुंगी जहां पैसा मिले।
इस प्रकार हर क़दम पर पैसा अपना कमाल दिखाता है पैसे की कीमत मनुष्य की स्थिति उसके मन पर निर्भर रहती है । एक मजदूर का लड़का भूखा प्यासा सेठ जी के पास गया। सेठजी ने उसे काम पर तो लगा लिया किन्तु धर्मशाला का लिखाई का काम भी दिया बालक ने मना कर दिया और कहां मुझे लिखना नहीं आता ।सेठ ने कहां ये लो आज के काम का पैसा कल से मत आना ।सुनते ही बालक रो पड़ा।तात्पर्य है कि शिक्षा का होना अनिवार्य है।
बेबसी व लाचारी का मौक़ा तब आता है जब इंसान अपनी स्व बुध्दि का उपयोग नहीं करता है।उसकी अल्पज्ञता निरक्षरता तथा विकारी वृति अवरोध उत्पन्न करती है।एक भीख मांगने वालें व्यक्ति से कहाआप इस स्थान को साफ कर दो हम उसका पारिश्रमिक देंगे ।वह गुर्रा कर आगे बढ़ गया ।एक महिला काम मांगने के लिए आई । मैंने नर्सरी के बच्चों को देखना व साफ सफ़ाई का काम दिया। उसने कहा मैं बच्चों को देखने का काम करुंगी साफ सफ़ाई का नहीं। इस प्रकार हम देखते हैं अकर्मण्यता एवं उदासिनता के भावों से भी विवशता लाचारी सामने आ जाती हैं।
भारत की महिमा सबसे ऊंची है ।सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश में ग़रीबी का माहौल लाने के निमित्त भी हम है। धन होना तो जरूरी है।उसे प्राप्त करने में सक्षम तब ही हो सकते हैं जब हम मानसा ्वाचा कर्मणा से शुद्ध हो धन कमायेंगे। लाचारी से कमाया धन कभी अच्छे फल नहीं देता।उसका उपभोग भी सही नहीं होता है।इसीलिए समाज में भ्रष्टाचार चोरी, डकैती का भय निरन्तर बना हुआ है। सही तरिके से ,मेहनत से कमाया धन अल्प होने पर भी सुखदायी होता है।वह हाय हाय की वृत्ति से मुक्त होता है । इसीलिए ध्यान रहे दिलशिकस्त होने के पूर्व युक्ति से हर क़दम को जीत सकते। स्वाभिमान से जीना सीखें "कम खर्च बाला नशीन "बने,ये पेट दो रोटी मांगता है बस।हर क़दम पर कमाया पैसा ईमानदारी से कमाया हो तो वह लाचारी ओर विवश नहीं करेगा ।
अमिता मराठे
इन्दौर
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