जबरदस्ती ऐसा शब्द है जिसका अर्थ जबरदस्त से हटकर अलग है । मैं इन शब्दों से अनभिज्ञ हूँ। मेरी बुद्धि दोनों शब्दों पर बहुत कुछ सोचती है। बुद्धि बस सोचती ही रहती है कुछ कर नहीं सकती। मेरी तर्क बुद्धि भी जबरदस्त और जबरदस्ती पर विचारती है। एक ही शब्द के प्रयोग अलग अलग वैसे ही हो सकते हैं। जैसे एक माँ की विभिन्न संतान ।
जबरदस्त से तात्पर्य किसी कार्य का हुनर या लौकिक क्रियाओं की भूरि - भूरि प्रशंसा हो सकती है। जो मन में अच्छा प्रभाव उत्पन्न कर दे उसे जबरदस्त कह सकते हैं । जबरदस्त से ही जबरदस्ती शब्द मिला है। जिसमें बलपूर्वक,बलात किए गये कार्य को जो हमारे अनुकूल न होकर विपरीत किया गया हो उसे जबरदस्ती कहते हैं।
जबरदस्ती कई प्रकार की होती है। जिसका प्रयोग मानव समाज जन्म जन्मांतरण से करता आ रहा है । आजकल जबरदस्ती का अर्थ शारीरिक संवेदनाओं में ज्यादा होने लगा है। जो अपने बल का दुरुपयोग कर किसी पर जबरदस्ती हो सकती हैं। वैसे तो जबरदस्ती का क्षेत्र इतना व्यापक है इस पर एक ग्रंथ ही लिखा जा सकता है। यह अधिकारियों की,कर्मचारियों की,नेताओं की,छात्रों की, मजदूरों की जबरदस्ती या उन पर जबरदस्ती हो सकती है।
इसके बाद धर्म आ जाता है। धर्म पर उनके ठेकेदारों द्वारा अनुसरण कराने, करने की जबरदस्ती हो सकती है। उन पर उनके सिद्धान्तों आदि पर अलग-अलग प्रकार की जबरदस्ती हो सकती है। मंदिर में प्रवेश ,मस्जिद में प्रवेश, किसे करना क्या करना है क्या नहीं करना है। इन सब पर जबरदस्त माहरत हासिल किये हैं अनुयायियों ने।
आजकल साहित्य में भी जबरदस्ती का प्रयोग बढ गया है। साहित्य मंच कवि सम्मेलनों में जबरदस्ती एक के बाद एक ,दो - तीन कवितायें पढ़ देना, जनता समझे या नहीं।कवि सम्मेलनों में सुने सुनाये चुटकुलो को डाल देना, जबरदस्ती ही है।
रचनाकारों द्वारा रचनाओं पर जबरदस्ती के प्रयोग , शब्दों को गीत गजल में जबरदस्ती ठूंसना भी साहित्य में जबरदस्त माना जा रहा है।
मान लीजिए कोई बहर या मापनी बनी है तो उस बहर मापनी में रचना रचित हुई होंगी। तभी तो वह मापनी प्रचलन में आयी। परंतु इसमें भी जबरदस्ती होने लगी। बहर मापनी की बताकर शब्दों को जबरदस्ती ठूंस कर बहर से बाहर हो रहे हैं । बहर में जबरदस्ती का जबरदस्त प्रयोग हो रहा है। जिससे साहित्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ रहा है।
हमें जबरदस्त प्रभाव जागृत करने के लिए जबरदस्ती के प्रयोग पर शोध करना है । इस शोध में मैं और आप जबरदस्ती के प्रयोगों को रोकने में सफल हों ऐसी आशा है।
डॉ रामकुमार चतुर्वेदी
सिवनी मध्यप्रदेश
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