जन्मदिन-अलका

रामअवतार जी आज ७०साल के हो गये थे पर जब से उनकी धर्मपत्नी चल बसी उन्होने कभीअपना जन्मदिन नहीं मनाया मनाता भी कौन एक ही बेटा वह भी शहर में सर्विस करता था । छुट्टियों में आता रहता कभी कभी पर इस बार पता नहीं क्यों बार बार लग रहा था कोई तो उनका जन्मदिवस मनाऐ सालों से वो अकेले रह रहे थे परन्तु इसबार बच्चे जनता कर्फ़्यू में आये थे मिलने पर लाकडाऊन की वजह से जा नहीं पाये बहुत दिनों बाद रामअवतार जी के घर में रौनक़ आई थी यही कारण था की वो मन ही मन अपना जन्मदिन मनाना चाह रहे थे पर सुबह के दस बज गये बहू बेटे किसी ने उन्हें बधाई नहीं दी न पैर ही छुआ , था तो वोथोडा मायूस से हो गये , कामवाली से बोले कला ज़रा चाय बना दे छत पर टहल आता हूँ आज तारिख कौन सी है , कला बोली क्यों बाबू जी तारिख का क्या करोगे कुछ नहीं पेपर नहीं आ रहा है न तारिख पता ही नहीं चलती ... हाँ हाँ बाबू जी , मुझे भी नहीं पता चलती कला बोल कर हँसने लगी , तभी बहू नीला बोली बाबू जी आज ११मई है क्या कुछ ख़ास बात है आज , माँजी की याद आ रही है ...और वह भी मूंह दबा कर हँसने लगी।
बाबू जी नहीं बेटा ऐसे ही पूछा अच्छा मैं कमरे में जा रहा हूँ मेरी चाय वही भिजवा देना कह कर राम अवतार हताश अपने कमरे में चले गये उनके जाने के बाद कला और नीला बहुत हंसी वो समझ रही थी बाबू जी परेशान है किसी ने उन्हें  जन्मदिन की बधाई नही थी , नीला बोली कला बाबू जी को चाय दे आ पर पता मत लगने देना की हमने कोई सरप्राइज़ पार्टी रखी है ...
ठीक है दीदी कह कर कला चाय लेकर जाती है ..बाबू जी जाय , हाँ ला आज बच्चुआ दिखाई नहीं दिया न मुन्ना कहाँ है , बाबू जी ने कला से पूछा कला ने कहा बाबू जी ऊपर कमरे में टीवी देख रहे हैं । 
अच्छा नीचे आये तो कहना मैंने याद किया है अच्छा रहने देना मैं ही बुला लूँगा .रामअवतार जी का रोज़ का खाने का समय १२/३० का है यह सबको पता है । सबने उसके पहले ही करीब १२ बजे बाबू जी के कमरे में एक साथ जाकर जन्मदिन मुबारक कहतें हुये उनके पैर छुए और केक टेबल पर सजा दिया  बोले बाबू जी केक काटे आप के लिऐ नया चश्मा और  कमरे में नया कूलर लाकर जन्मदिन का उपहार दिया सबने पैर छुए बच्चुआ बोला दादा जी ये मेरी तरफ़ से स्मार्ट फ़ोन अब आप इसमें गेम खेलना दोस्तों को देख कर बातें करना मैं आप को सब सिखा दूँगा केक काटते समय रामअवतार रो पड़े बोले मैं समझ रहा था किसी को मेरा जन्मदिन याद नही मैं सच में बेकार हो गया हूँ पर तुम लोगों ने यह सरप्राइज़ देकर मुझे बहुत ख़ुशी दे दी मेरी जीने की तमन्ना बढ़ गई सुबह से लग रहा था मैं बुढा हो गया हूँ किसी को मेरी ज़रूरत नहीं मैं ....और वो भावुक हो गये बेटे रोहित ने उन्हें गले लगाया और बोला बाबू जी आप ही हमारी हिम्मत है माँ तो चली गई हैं आप हमें छोड़ने की बात न करें हम अनाथ हो जायेगे फिर आपको बच्चुआ के लिये लड़की भी ढूँढनी हैं  हंसो आज रोने का दिन नहीं है । रामअवतार अब  काफी शांत व ख़ुश नज़र आ रहे थे वो बेटे से बोले बोलता ही रहेगा या केक भी खिलाएगा सबको नीला ने सबको केक दिया रामअवतार जी बोले बेटा यह दिन कभी नहीं भूलूँगा आज तुमने इन बुढी हड्डियों में जान डाल दी व बरसों से खामोशी में डूबे इस घर को आबाद कर दिया।



डॉ अलका पाण्डेय


 



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ