जन्‍मदिन-किरण बाला

मैम,आप परसों साड़ी पहन कर स्कूल आ जाओगे क्या? अपनी भोली सी आवाज में काजल ने कहा।किसलिए!... मैंने आश्चर्य से पूछा | मेरा जन्मदिन है,प्लीज,आओगे न! 
मैं जैसे उसकी बात भूल सी गई थी, उस दिन भी रोजाना की तरह सूट में ही चली गई | अचानक हाजिरी के समय मुझे उसकी बात याद आ गई... शुक्र है वो आज नहीं आई,नहीं तो मेरी वजह से उसे बहुत दुख होता(मैंने गहरी श्वास ली) |अगले दिन जब वो स्कूल आई तो मैंने उससे पूछा, "कल क्या हुआ था, आई क्यों नहीं ?मुझे टॉफी खिलानी पड़ती,इसीलिए न! " नही मैम ,आपके लिए तो कुछ भी कर सकती हूंँ ,(उसने उदास मन से कहा ) तभी मेरी नजर उसके हाथ पर लगे जले हुए चिमटे के निशान पर पडी, ये क्या हुआ ! प्रत्युत्तर में मुझे उसके गाल पर लुढके दो आँसू मिले जो यह बताने के लिये काफी थे कि कल उसका जन्मदिन पर उसके साथ क्या हुआ होगा |



किरण बाला
( चण्डीगढ़ )



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