जब से मंगत सेठ को पता चला कि वो पिता बनने वाले हैं, उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। उन्होंने तो जश्न की तैयारी भी शुरू कर दी क्योंकि बहुत मन्नतों के बाद उनके कुलदीपक का जन्म होने वाला था। फिर भी उन्होंने डॉक्टर से जाँच करा लेना उचित समझा। जाँच में डॉक्टर ने बताया कि आपकी होने वाली संतान लड़की है।सारी खुशियाँ आने से पहले ही दगा दे गयीं। तुरंत फैसला ले लिया गया। उस बालिका को जागने से पहले ही सुला दिया गया। ख़ैर, समय बीतने के साथ ही वह शुभ घड़ी भी आयी जिसका सेठ जी को इंतजार था। उनके घर कुलदीपक का जन्म हुआ। पंडित जी ने कुंडली बनाई और बच्चे के जीवन में आने वाली कठिनाइयों के निवारण हेतु नवरात्रि व्रत और उसके समाप्ति पर नौ कन्याओं के पूजन करने को कहा। कुलदीपक के भविष्य को उज्जवल बनाने हेतु सेठ जी ने नवरात्रि का व्रत रखा और आज सेठ जी ने नौ कन्याओं को भोजन कराया। उनके पैर धोकर चरणामृत अपने पूरे परिवार समेत कुलदीपक को पिलाया । उन्हें दान देकर विदा किया। कन्या पूजन संपन्न हुई और सेठ जी आज चिन्ता मुक्त हो गयें।।
"अनूप कुमार शुक्ल" गाजीपुर
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