पडो़सन को गिरते देखा है।
मुफ्त मे मिले सरे टमाटर के लिऐ ,
ईक माहसूम से बेवजह भिड़ते देखा है।
पडो़सन को गिरते देखा है।
मेहनत कि कमाई पर
चूगली करते देखा है ।
पडो़सन को गिरते देखा है।
पडो़सन में ताई ,माँई नहीं ,
ईक दूष्ट श्रूपनखा देखा है ।
पडो़सन को गिरते देखा है।
पट्टिदारी की गंध नहीं,
हर बात पे लड़ते देखा है ।
पडो़सन को गिरते देखा है।
रंग भेद का मेल नहीं
सौतन सी अड़ते देखा है ।
पडो़सन को गिरते है
लात बात का असर नहीं ,
हर बात पे लड़ते देखा है।
मैने मुजरा करते देखा है।
पडो़सन को गिरते देखा है
कीमत का कोई रित नहीं,
उन्हें मुफ्त मे बिकते देखा है
सोने-चाँदी की बात नहीं ,
मलईत्र पे टिकते देखा है ।
पडो़सन को गिरते देखा है।
बात-बात पे पडो़सी को
अपशब्द उगलते देखा है ।
षठ्यंत्र को रचते देखा है।
पडो़सन को गिरते देखा है।
खुशबू शर्मा दिल्ली
0 टिप्पणियाँ