माँ -अलका पाण्डेय 

झील जैसी माँ की 
आंखे ...
सागर समा जाए 
ढूँढने से भी दर्द का 
पता  न पाए 


दुनियाँ में सबसे सुंदर 
माँ का 
चेहरा ,.....
ईश्वर के दर्शन 
पा जाए 


माँ की गूलाब सी 
महकती 
साँसें ....
सारा वजूद 
महक जाए 


माँ का 
साथ ...
जीवन में अंसख्य 
ख़ुशियों का एहसास 



आग का दहकता 
अंगारा माँ का 
गुस्सा ....
गलतियो का 
अहसास करा जाए ।।


माँ का 
रोना ....
सावन सा बरसना 
मेरी नादानियों को 
बाढ़ में बहा ले जाना 


ठंढ की ठिठुरन 
माँ की 
उदासी ....
मेरे अपशब्दों को 
बर्फ़ सा जमा जाना 


माँ का 
रुठना ....
तन बदन से 
प्राणो का जाना 
धडकन का 
रुक  जाना 


क्या करु ? 
कुछ भी करु ? 
कम होती नही 
माँ की मोहब्बत


माँ ही मेरा सर्वस्व है 
मेरी नाकामयाबी 
का संघर्ष है 
मेरी सफलता का 
उत्कर्ष है ।।
माँ है तो स्वर्ग 
वर्ना जीवन ....व्यर्थ ... 


डॉ अलका पाण्डेय



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ