मेरी मां के लिए मेरे दिल की बात
तुम आस हो एहसास हो।
मेरे जीवन की स्वास हो।
तपती धूप में शीतल छाया।
हरदम साथ है तुम्हारा साया।
कहते हैं मां को पहली गुरु।
पर जब भी तुम्हारा ख्याल आता है
लगता है जैसे पढ़ाई तो अभी हुई है शुरू।
पूरी उम्र भी बीत जाए मेरी।
शागिर्द रहूंगी सदा तुम्हारी।
तुम जैसी मुकम्मल तो क्या
कभी बन पाऊंगी मैं भी?
संस्कारों की तुम पाठशाला।
सम्मान से जिस ने जीना सिखाया।
आंधी तूफानों से भरे जीवन में।
तुमने मुझको अविचल पर्वत बनाया।
कर्तव्य निष्ठा और स्वाभिमान में।
होता क्या अंतर बतलाया
मां बनकर ही मैंने तुम्हारी
ममता को पहचाना।
मां मेरे जीवन में तुम
सबसे ज्यादा खास हो।
मेरी पहचान हो मेरा विश्वास हो।
अनुभा जैन।
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