माँ-कलावती

किन शब्दों मे करू माँ का गुणगान। 
 संसार में कोई नहीं है माँ से महान। 


माँ नहीं चाहती अहित कैसी भी हो सन्तान। 
हो कुटिल, स्वार्थी बच्चे, माँ करती क्षमादान। 


माँ होती है सबकी सदगुणों की खान। 
रखती बच्चे का अपने से ज्यादा ध्यान। 


हर माँ का सदा एक ही होता अरमान। 
हर क्षेत्र मे मेरे बच्चे को मिले सम्मान। 


माँ का मन होता विशाल जैसे नीलगगन। 
होता है इतना कोमल जैसे खिला सुमन। 


माँ ही होती अपने बच्चों का भगवान। 
माँ की गोदी का सुख है स्वर्ग समान। 


जो रहता माँ संग वो बड़ा धनवान।
माँ के आशीष से नहीं बड़ा वरदान। 


बच्चे के लिए माँ है संगीत का तराना। 
माँ की ममता ही है खूबसूरत नजराना। 


माँ का हरदम होता है यही कहना। 
मेरे बच्चे हर क्षेत्र मे आगे बढ़ना। 


माँ के आँचल में सिमटा है सारा जहान। 
संभव नहीं माँ का शब्दों मे करना बखान। 


कलावती करवा
कूचबिहार
पश्चिम बंगाल



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