माँ-नीलू

 
माँ वो कामधेनु है जो,
बिन माँगे इच्छित देती है।
कल्पवृक्ष जो अकल्पनीय, 
को भी सच कर देती है।।


स्वयं दुःख सहती रहती,
पर बच्चों को सुख देती है।
अपनी भूख मारकर भी,
बच्चों का पेट भर देती है।।


बच्चे की आए बात कभी,
तो पति से भी लड़ जाती है।
पिता का साया न भी हो,
तो पिता भी वो बन जाती है।।


माँऐं जिन्होंने पिता बिना,
बच्चों का जीवन सँवार दिया।
मदर इंडिया' की माँ ने,
भारतीय माँ की मिसाल दिया।।


कुंती के साथ पांडवों ने,
कौरवों को भी पछाड़ दिया।
लक्ष्मीबाई पुत्र कटि बाँध,
अंग्रेजी सेना पर प्रहार किया।।
'
माँ चाहे पशु पक्षी की हो,
पर्याय त्याग की होती है।
बच्चों की खुशियों के हेतु,
अपना अस्तित्व खोती है।।


खुद निःशक्त होकर भी,
संतान की शक्ति बनती है।
आदर्श, संस्कार, मूल्य सिखा,
कर प्रथम गुरु भी बनती है।।


- डॉ नीलू समीर



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