जिंदगी ! जब भी आह मिलती है।
माँ की ममता अथाह मिलती है।।
रूठ जायें अगर मसीहा तो।
माँ के दिल में पनाह मिलती है।।
काम बन जाये बिन रुकावट सब।
माँ की ऐसी सलाह मिलती है।।
लाख ज्ञानी भरे हुए जग में।
माँ बिना तो न राह मिलती है।।
'ओम' दुनिया न दे शाबाशी पर।
माँ से हर पल ही वाह मिलती है।।
* ओम प्रकाश शुक्ल
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