जब दुनिया में आयी
तेरा आँचल पायी
प्रथम तेरे स्पर्श ने ही
प्रेम की भाषा सिखलाई
तेरी ममता की छाँव में
हर खुशी पायी
आज भी तेरी ममता
मेरा वटवृक्ष है
तू मेरी हर खुशी और
मेरी जन्नत है
तेरा ये हस्त सदा रहे
बनकर कवच हमारा
तू है तो खुद की चिंता
नहीं सताती है
प्रीति डिमरी, देहरादून
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