माँ-संध्‍या

शत-शत अभिनंदन
माँ तुझे नमन।
तेरे आँचल की छाया में
बढ़ा हुआ।
तेरी अंगुली को थाम थाम
चलना सीखा।
तेरी ममतामयी लोरी ने
स्वर दिए मुझे।
 तेरी अमृतमय आंखों से
संसार देख किया जग को 
वंदन,माँ अभिनंदन।


 हर भले बुरे का
ज्ञान दिया तूने मुझको
हर संकट से लड़ना 
 सिखाया तूने ही।
तू डाल बनी हर पल मेरी
तू रणभूमि में लड़ने
को तलवार बनी।
तू हर मंजिल की
सीढ़ी बनकर खड़ी रही
तू सुख दुख में
ममता की मूरत बनी रही।
तेरी ममतामई मूरत को
कृत कृत वंदन।
माँ अभिनंदन।


जो हूं जिस लायक
समझा था,
निस्वार्थ भाव से,
आज मुझे वह बना दिया
ना कल चाहा न आज तुझे
कुछ चाहत है।
 तेरी आशीशों का 
कर वरद सदा मुझ पर है।


हे करुणामयी, हे ममतामयी
हे धात्री मेरी,
हर युग युग में,
हर जन्म जन्म
तुझको वदंन
माँ अभिनंदन


संध्या तिवारी
विदिशा मध्य प्रदेश



 


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