यूं तो मां बच्चों की प्रथम गुरु होती हैं पर मेरी मां मेरे लिए जमाने भर की सीखों का खजाना थी|अपनी इकलौती बेटी को वह सर्वगुण संपन्न बनाना चाहती थी इसलिए लाड़ प्यार के अलावा मुझे जीवन के यथार्थ से हमेशा परिचित कराती थी किसी भी परिस्थिति में विचलित ना होने की व हर हाल में सहनशील होने की सीख हमेशा देती थी ,जो आज भी मेरे जीवन में संबल बनी हुई है| बचपन में उनसे डांट खाई थी शादी के बाद भी उनका ही भय सताता था, उनकी नसीहतें हिदायतें आज मेरे जीवन स्तंभ हैं उनके जाने के बाद एहसास हुआ कि मां से बढ़कर कोई रिश्ता नहीं होता ,मां का कोई और विकल्प नहीं होता| नजरें ढूंढती है आज भी जब उनको ,उनके साथ बिताए लम्हें व सीखें याद आ जाते हैं जेहन में,,,,
धरती पर थी मां मेरी भगवान
चेहरे में था सदा मधुर मुस्कान
सिखा गई दुनिया की सीख मुझे,
करती हूं आपको कोटि-कोटि नमन |
सीमा निगम
रायपुर छत्तीसगढ़
मो -7869458122
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