प्रोफेसर शर्मा जी के मकान की ऊपरी मंजिल का निर्माण कार्य चल रहा है,2 दिन से वो देख रहे हैं मजदूर रामलाल की जगह कोई नौजवान आ रहा है,दिखने में बड़ा सभ्य है,सिर्फ काम से काम रखता है,और अपनी मजदूरी लेकर चला जाता है,कुछ दिन यही सिलसिला चला फिर रामलाल वापस आ गया,आते ही प्रोफेसर साहब ने पूछा उसको कि" कौन था वह नवयुवक?"
रामलाल ने कहा,हमार बिटवा था साहब,अभी कॉलेज में पढ़ रहा है,बहुत होशियार है साहब,जल्दी ही नौकरी मिल जाये बस उसे,"प्रोफेसर साहब ने आश्चर्य से पूछा,"तुम्हारा बेटा, मजदूरी कब करता है ,अगर कॉलेज जाता है तो?"
रामलाल ने जवाब दिया-"क्या साहब,यदि हम मजदूर हैं तो क्या उसे भी मजदूर ही बने रहने दें, नहीं साहब वो तो दफ्तर में साहिब बनेगा,वो तो मेरी तबियत ठीक नहीं थी,सो घर पर कमाई न रुके,इसलिए चला आया कुछ दिन"
रामलाल चला गया,प्रोफेसर साहब के दिमाग में उसके बेटे की ही छवि घूम गयी और आँखों में सम्मान का भाव आ गया।
स्वरचित
डॉ पूजा मिश्र #आशना
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