जी चाहता है. आज मै प्रेम लिख दूँ...
बदल दूँ समय मधुमास का सालो
साल प्रेम लिख दूँ...!
इस समय को बदल के
मन के मधुर सरग़म पर,
स्याह रात का भोर लिख दूँ..!
बीमार थके सूरज के मुख पर,
भोर की लाली किरन लिख दूँ,
कोयल की कुहु - कुहु पर,
भंवरों की धुन लिख दूँ,..!
तीतलियों के रंगों से, बगिया
में फूलों पर, आज मैं प्रेम
लिख दूँ...!
प्यार के मदमस्त खुमार पर..,
चटख खिली कलियों की
मुस्कान लिख दूँ,,!
कलकल बहती नदियों की धारा पर
मतवाले मन का उमंग लिख दूँ...!
विरह के छलकते मोती पर,
पपिहा की पीहू- पीहू में..
विरह में प्रियतम का मिलन लिख दूँ..!
सांवरे बिन सजनी की विरह वेदना
के,..
तडपन की आस लिख दूँ..!
जी...
मेरे प्रियतम
जी चाहता है मैं भी प्रेम लिख दूँ...!
इंदु उपाध्याय पटना
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