बेटी बहन पत्नी मॉं
न जाने कितने नाम से जानी जाती
तुम से ही घर, घर बनात है
तुम हो मेरी प्यारी मॉं
लोरी गाकर मुझे सुलाया
नन्हें कदमो में चलना सिखाया
हर ऊँच नीज की शिक्षा देकर
जीवन में बढ़ना सिखलाया
न किसी से कभी शिकायत
न हिम्मत ही हारी तुम
आगे हमें बढ़ाने में
अपनी उम्र लगाई तुम
परमेश्वर का रूप है तुममें
तेरी ही परछाई हूँ
तेरी ही ममता से मैं तो
इतना कुछ कर पाई हूँ।
स्वाती चौहान देहरादून
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