सानिया चाय का मग अपनी ननद दीपा को पकडा कर सोफे पर बैठते हुए देखती है,दीपा तीन-चार साड़ियां निकालकर उत्साह से अपने पति को दिखाते हुए कह रही है यह जो साड़ी आप मां के लिए लाए है.इनका कलर मुझे बहुत पसंद आ रहा है।तुरंत ही दीपक मुस्कुराते हुए बोले तुम्हारी ये जो तीन साड़ी है वह भी बहुत सुंदर है।दीपा थोडा सा दुखी होकर बोली हाँ दीपक सुंदर तो है लेकिन इस साड़ी का कलर भी मुझे बेहद पसंद है।दीपक हंस दिया और बोला अरे सुनो मां तो वैसे भी हर साड़ी धोकर ही पहनती हैं तुम एक-दो बार पहन लो फिर धोकर प्रेस कर देना मां को कहां समझ में आएगा गांव की जो ठहरी.हठात सानिया की आंखें पत्नी के उस आशिक की तरफ हिकारत से उठ गईं।
रेखा दुबे, विदिशा मध्यप्रदेश
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