सरोज बहुत परेशान रहती पति रवि की हरकतें उसकी समझ के पार थी। चूंकी सरोज बहुत धैर्यवान व शालिन थी हर बात को बहुत सोच समझ कर कहती कभी जल्द बाज़ी में कोई काम नही करती थी । वह रवि केआशिक मिज़ाज से पूरी तरह वाक़िफ़ थी पर क्या करे कुछ बोले तो शामत आ जाती थी कई बार समंझाया पकड़ा खुब कहा सुनी हुई पर कुछ दिन ठीक रहता फिर वही वह जानती थी रवि ग़लत रास्ते पर चल पडा है मुझे कुछ करना पड़ेगा आख़िर उसकी पत्नी हूँ , “उसको उसकी ग़लती दिखानी ही पड़ेगी , तभी ज़ोर से बिचली कडकी वह खिड़की बंद करने लगी , आजकल बरसात रोज अपना जलवा दिखा रही थी उधर रवि की हरकतें सरोज से छिपी नही थी। आज जैसे ही रवि घर में घुसा बहार बारिश हो रही थी रवि का एक कंधा बहुत गीला था । सरोज ने उसके हाथ से छाता लेकर रखा और बडे प्यार से बोली मैं कई दिनों से देख रही हूँ कि आप बारिश में बहुत परेशान हो रहे है हमेशा आपका एक कंधा भीग जाता है और एक आप यह तो बडा छाता लेकर जाये। या सोनम को घर ले कर आ जाओ साथ चाय पीयेगे आप शाम की चाय उसके साथ पीने के लिये कितना पैदल चलते है। माना वह हमारे घर के पीछे रहती है आप उसके साथ चल कर आते है रास्ते में चाय पीते है लोग देखते है। और आपका गीला कंधा रोज शिकायत करता है। यह तो एक कंधे के साथ नाइंसाफ़ी है दोनो कंधे आप के ही है रवि एक को मज़ा एक को सजा मत दो !संतुलन नही रहेगा सब बिगड़ जायेगा !
यह कह सरोज ने चाय का कप कवि को पकड़ा कर चली गई थोड़ी देर मे रवि सरोज के पास गया व माफी माँगने लगा , सरोज शांत रही और बोली आप को जिसमें आन्नद आता है करो पर मेरे साथ रहकर नही ....आज से हमारे रास्ते अलग है ......
ये उठाओ आपका सामन चलते बनो , मैं आपकी पत्नी हूँ , व्याहता पत्नी ।
डॉ अलका पाण्डेय -
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