पत्रकारिता दिवस पर विशेष- अलका

पत्रकार की कलम शांत रहकर , 
चंद अल्फ़ाज  कलमबंध कर !!


क्या क्या कारनामा करता है 
सियासत का तख़्त पलटता है !!


न कोई शोर शराबा ,न धूम धड़ाका !
न कोई गाली गलौज , न खून खराबा !!


सबको सुधारे , आईने दिखाऐ कलम की  ताक़त !
कैसे कैसे प्रहार करती पत्रकार की कलम की ताक़त !!


अभाव में जीना , धन से दूर रहना कलम का उपासक ! 
अपनी कोई फ़िक्र नहीं , जनता का हितचितंक !!


मन में निष्ठा , देश भक्ती का जज़्बा है , समाज को सच्च दिखाना !
दंगों में कभी आंतकी हमलो में सच्च ही दिखाना !!


माँ शारदें का भक्त है संघर्षो से न डरे !
हज़ार संकट सहे मौत से भी न डरे !!


पत्रकार , पत्रकार , पत्रकार है 
हाँ वो बुद्धिजीवी है पत्रकार है ,


डॉ अलका पाण्डेय



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