मुझको माफ करना प्रभुवर
मुझको माफ करना
मैं तेरे दर पर आज न आऊँगी
पूजा के फूल भी नही चढ़ाऊँगी
दीपक भी आज नहीं जलाऊँगी
भारत माँ के वीर सपूत शहीद हुए
उनके चरणों में मैं पुष्प चढ़ाऊँगी
मुझ को माफ करना प्रभुवर
मुझको माफ करना
पूजा के फूल भी नही चढ़ाऊँगी!!
शहीदों के दर पर आज मैं शीश नवाऊंगी!
उनकी याद में पग पग पर दीपक जलाऊँगी !!
माँ की आंखो से जल धारा बह रही है !
शत-शत नमन मैं श्रद्धा सुमन चढ़ाऊँगी
मुझ को माफ करना करना प्रभुवर ....मुझको माफ करना
पूजा के फूल भी नही चढ़ाऊँगी!!
हर फुलवारी का ,हर फूल मचल रहा !
क़दमों को चूम के , आँसू बहा रहा !
ग़द्दारों को मौत की सजा सुनानी है !
देश का कण-कण इन्हें विदाई दे रहा !!
मुझको माफ करना प्रभुवर ....
मुझको माफ करना
पूजा के फूल भी नही चढ़ाऊँगी!!
पुष्प प्रेम के परिचायक हैं !
दुष्ट किन्तु वध के लायक हैं !!
विजय का वर दो भारत मां के वीरों को !
प्रभु,है आप , किन्तु वे मेरे नायक हैं ।।
मुझको माफ करना प्रभुवर
मुझ को माफ करन
पूजा के फूल आज मैं नहीं चढ़ाऊँगी ।।
फिर आऊँगी द्वार तुम्हारे !
फूलों के सौ माल तुम्हारे !!
मेरा राष्ट्र एक है भारत !
जाने कितने भक्त तुम्हारे !!
मैं तेरे दर पे आज , आऊँगी ........
पूजा के फूल भी चढ़ाऊँगी!!
शींश झूका दीपक जलाऊँगी
शहीदों के नाम का .......!!
डॉ अलका पाण्डेय
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