रंग रूप की बात ही क्या ,
तेरे हर रुप में शूरमई ताल है।
होठो छलके लफ्ज जैसे की
शबनमी बरसात है।
तेरे आगमन का कहूँ....?
कोई उजरी रित पुरबा बयार है
दिन कटते नहीं है तुम बिन ,
कटती नहीं कोई रात है।
क्या कहूँ मै सईया तुम बिन ,
हर मौसम बेकार है।
पिर मिला पिरीतिया हुई,
तूझबिन जौगन जात ।
मिलते न जो तुम क्यों सजना हमसे,
तुम बिन जिवन दिया ऊजार।
राम मिले यूँ सबरी से जैसे हो प्रित अपार ।
क्या तूम्हे नहीं वो दर्द हुआ,
जो था मेरे दिल हाल ।
या तुम थे कोई रांझा नंदलाल ।
खुशबू शर्मा- नई दिल्ली
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