विश्‍वासघात-डॉ पूजा

आज घर में पूजा है,और प्रतिष्ठा को तो बहाना चाहिए बस साड़ी पहनने और सजने संवरने का,तबियत से तैयार हुई थी वो, आलोक तो एक बारगी उसे देखते ही रह गए,सासु माँ ने भी काजल का टीका लगा दिया,मिनी भी इशारों इशारों में उसकी बिटिया मिनी भी जता गयी कि कितनी सुंदर लग रही है प्रतिष्ठा,लाल रंग की चौड़े बॉर्डर वाली साड़ी,उस पर उसका पसन्दीदा कुंदन वाला हार,कानों में मैचिंग के झुमके भी,और सर पर सलीके से रखा हुआ पल्लू,पर फिर भी बिजली सी फुर्ती,पंडित जी आये तो सारी सामग्री यथास्थान,पड़ोसी,रिश्तेदार कभी कभी तो रश्क करते आलोक और उसकी माँ की किस्मत पर,सर्व गुण सम्पन्न लड़की मिल गयी इन्हें तो,कमाती भी है,घर का काम भी करती है,और स्वभाव भी उदार,बोली तो जैसे मिश्री ही है।
और ऊपर से सलोना रूप।
खैर पूजा हुई,सभी मेहमान भोजन कर अपने अपने घरों को लौट गए,बाद का सब काम समेटते समेटते वो भी थक कर चूर हो गयी थी,रात में सभी के सो जाने पर लोभ संवरण न कर पाई और फ़ोन उठाकर आलोक द्वारा ली गयी अपनी एक सुंदर सी फ़ोटो dp पर डाल ही दी,और फिर वो भी सो गई।
अगले दिन मिनी को स्कूल और आलोक को ऑफिस भेजके रसोई एवम घर के बाकी काम समेटकर जब फुर्सत हुई तब फ़ोन को उठाया,देखा तो सोशल मीडिया पर करीब 60 नोटिफिकेशन आये हुए थे,उसे कोई आश्चर्य भी नहीं हुआ,बहुत रिश्तेदार और मित्र जुड़े हुए थे उसके साथ सोशल मीडिया पर,स्कूल के,कॉलेज के।
सब के कमैंट्स देख कर प्रतिक्रिया भी देती जा रही थी,मन ही मन इतरा भी रही थी,कितने प्यारे कमैंट्स आये हैं,सब का कितना स्नेह मिल रहा उसे,मंद मंद मुस्काते हुए अचानक एक कमेंट पर उंगली रुक गयी उसकी,जिसमें लिखा हुआ था
"अरे मेरी टॉम बॉय,तू कितना भी सज ले,मेरे लिए तो टॉम बॉय ही रहेगी"
झट से उसने प्रोफाइल खोली तो आशानुरूप वही थी वो, जो कभी उसकी सबसे अच्छी दोस्त हुआ करती थी,'कामना',dp भी एक बड़े गरिमामयी व्यक्तित्व की लगी हुई थी,जिसके परिधान एवम चेहरे से ही आधुनिकता झलक रही थी,उत्सुकता में प्रोफाइल पूरी पढ़ डाली,वही था,जिसकी उम्मीद थी उसे,स्टेटस में लिखा था,मैनेजर ,एक मल्टी नेशनल कंपनी में,मगर रिलेशनशिप स्टेटस में सिंगल लिखा था,यह पढ़ते ही प्रतिष्ठा पहुंच गई आज से लगभग 08 साल पहले,जब वह और कामना एक साथ मेट की तैयारी कर रहे थे,स्कूल से ही साथ पढ़े थे तो दोस्ती बहुत गहरी थी,मगर दोनों के व्यक्तित्व बिल्कुल अलग थे,प्रतिष्ठा रहती थी बिंदास,लड़कों जैसे कपड़े पहनकर,साज शृंगार से तो जैसे कोई वास्ता ही नहीं उसका,दूसरी तरफ कामना ,हर मामले में लड़कियों सी कोमल, सौम्य, बन ठन कर रहना,फलस्वरूप जहां लोग प्रतिष्ठा से बात करने में बचते थे,वहीं कामना की सहायता करने को हर कोई ललायित रहता फिर वह सहपाठी हों ,सीनियर्स हों या प्रोफेसर हों।
परन्तु इतना सब होने पर भी बाज़ी हमेशा प्रतिष्ठा मार लेती थी,
कभी कामना आगे न निकल पाई उससे,और वह दोस्ती में ऐसी अंधी थी कि कभी समझ ही न पाई की यह चीज़ चुभती है कामना को।याद करते करते उसे वह समय भी याद आया जब कामना ने उसे कहा,"सुन प्रतिष्ठा,मुझे ऐसा लगता है कि अखिल तुझे पसन्द करता है,जब देखो तब तुझे ही ताकता रहता है"और उसने झडक कर कहा था,"रहने दे ,तेरे होते कोई लड़का मुझे क्यों देखेगा"?
पर हार्मोन्स बदलाव के उस दौर में कहीं न कहीं उसके मन में यह बात घर कर गयी और खुद भी उसकी नज़रें अखिल का पीछा करने लगीं,अखिल था ही इतना आकर्षक,लम्बा कद,गौर वर्ण कौन न देखे ऐसे युवा को?
और अब अक्सर दोनों के बीच निगाहों निगाहों में बातें होने लगीं,एक दिन तो अखिल ने प्रेम पत्र तक पकड़ा दिया उसे,कितना खुश हुई थी वो उस रात,उसे ऐसा लगा कि वही विश्व सुंदरी बन गयी जैसे,अपने आप को सामान्य से विशेष मानने लगे गयी थी,और बस फिर क्या जीने लग गयी ख्यालों और ख्वाबों में,पढ़ाई कब पीछे छूट गयी पता ही न चला उसे।
होश तब आया जब कामना और अखिल का चयन देश के सबसे अच्छे विश्वविद्यालय में हुआ और उसे मिला वहीं का लोकल कॉलेज,यहाँ भी सब ठीक था परन्तु  वज्रपात हुआ ये जानकर कि कामना और अखिल के बीच प्रेम सम्बन्ध थे,जिन्हें कामना ने इस्तेमाल किया,प्रतिष्ठा को पीछे छोड़ने हेतु।घृणा सी हो आयी थी खुद से,एक दो महीने तो घर से निकली ही नहीं।
पर कहते हैं न वक़्त एक सा कहाँ रहता है,अब जब वह कॉलेज गयी तो बिल्कुल अलग रूप में,सलवार कमीज,लंबे बाल,बदल गयी थी वह।वहीं उसे मिला आलोक के प्यार का मरहम,और सारे घाव भर गए,आलोक के साथ उसकी ज़िन्दगी अब किसी सुखद स्वप्न से कम नहीं,क्योंकि आलोक ने जता दिया उसे कि उसके टॉम बॉय के अंदर कहीं असली प्रतिष्ठा छुपी बैठी थी जो सहज ही सुंदर है,तन से भी और मन से भी।
इतने में ही फिर से एक नोटिफिकेशन की टोन से तन्द्रा टूटी,कामना का ही सन्देश था,"अब भूल जा बीती बातें,प्लीज़ बात कर न मुझसे" उसने दो बार वो सन्देश पढा और फिर ब्लॉक बटन दबा दिया,जिससे कि दोबारा कोई "विश्वासघात"न हो उसके साथ।


 


 डॉ पूजा मिश्र #आशना



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