कल से कालेज की छुट्टीयां लगने वाली थी , इस लिये कोई भी क्लास में न जाकरहम लोग कैंटीन में बैठ कर गप्पें मारते रहे जिनका आख़िरी साल था उनको सबसे बिछड़ने का दुख था , बाक़ी तो एक महिने बाद कालेज आने वाले ही थे वैसे भी मई जून का महिना बहुत गर्म होता है सब बच्चे घर जाना ही पंसद करते है . मोहनी आज कैंटीन में चुप बैठी थी स्नेहा ने छेडा क्या बात है मेडम उदास हो घर जाने के नाम से क्या दिल किसी को दे दिया है ।
कुछ खाओगी लाऊँ , नहीं भूख नहीं है अब तो माँ के हाथ का खाना ही खाऊँगी मेरा भाई आज ही आ रहा है मुझे लेने पापा का फ़ोन आया था गर्मी में बस के धक्के मत खाना भाई को भेज रहा हूँ आराम से आना । मोहनी एक सांस में सब बोल गई
स्नेहा बोली बताती , तो मैं भी तेरेसाथ चलती रास्ते उतर कर आगे टैक्सी कर चली जाती , राजेन्द्र नगर से महूँ दूर ही कितना है । हाँ हाँ तो अब क्या बिगड़ा है कर ले तैयारी चल साथ में , मुझे लगा तू प्रकाश के साथ जायेगी या कल का दिन उसके साथ बितायेंगी ?
बिछुड़ने का गम जो होगा मोहनी ने कोहनी से मारते हुये स्नेहा की फिंरकी ली , स्नेहा बुरा सा मूहं बना कर बोली कहाँ रे वह तो शांपिग करने गया है ,दोस्तों के साथ , उसकी माँ ने कुछ सामान मंगाया है और वो मुझे क्यों ले जायेगा अपने दोस्तों के साथ जायेगा उसके ही गाँव के कई लड़के है न हाँ यार मैं तो भूल गई थी , तो क्या समस्या है उठ हमारे साथ चलना मोहनी पीछे पड़ गई स्नेहा के ,
स्नेहा बोली पहले यह बता तू इतनी उदास क्यों थी ,
कुछ नहीं यार सोच रही थी अपने सीनियर लोग अब वापस नहीं आयेंगे तो आने के बाद कुछ सुना सुना लगेगा कैम्पस ,
चल झूठ्ठी बात कोई और है मोहनी रानी , शायद किसी सिनीयर को दिल दे बैठी हो स्नेहा ने हँसते हुये कहाँ तो मोहनी शर्मा गई ,
बोली ऐसा कुछ नहीं है पर अनिकेत सर
अच्छे लगते हैं पर कभी हमारी आपस में बात भी नहीं हुई ..
ओ हो एक तरफ आग सुलग रही है , तुम कहो तो मैं बात करु स्नेहा ने चुटकी ली....
नहीं नहीं कदापि नहीं ऐसा कुछ नहीं है ।
चल उठ मैं हास्टल जा रही हूँ चलना है मेरे साथ या नहीं, मोहनी ने ज़रा दवाब डालते हुए कहाँ ।
स्नेहा सोच रही हूँ,प्रकाश से मिल कर ही जाऊ एक महिने तक शक्ल नहीं देख पाऊँगी ,
ओ हो तो बात यहाँ तक बढ़ गई है कोई बात नहीं तुम इश्क फरमाओ ...
हम तो चले मोहनी कहते कहते उठ खड़ी हुई ,
अरे रुक बहार तक तेरे साथ मैं भी चलती हूँ ,
दोनो बहार आ गई कालेज का कैम्पस बहुत सुंदर था अशोक के लम्बे पेड़ , गुलमोहर , नीम आदि के पेड़ कालेज की खुबसूरती में चार चाँद लगाते , उनके आसपास गुलाब , गेंदा , मोगरा
जूही की फूलवारी अनोखी छटा बिखेरते शाम को ठंडी हवाओं से मन ख़ुश हो जाता ,
दोनों सहेलीयां बातें करते चल रही थी की सामने से प्रकाश दिखा आते हुये हाथो में दो थैले सामान से भरे साथ में दो दोस्त वह भी कुछ ख़रीदारी कर के आये थे ।
प्रकाश ने जैसे ही दोनों को देखा हाथ दिखा रुकने को कहाँ ..
और अपने दोस्तों को सामान देकर हास्टल भेज दिया ।
पास आकर प्रकाश बहुत गर्मजोशी से मोहनी से मिला व स्नेहा का हाथ अपने हाथ में लेकर बोला क्या इरादा है रात को पिक्चर चले ,
मोहनी बोली आप लोग पिक्चर जाए मेरा भाई आ रहा है, मैं तो घर जा रही हूँ ।
ठीक है वैसे भी मैं स्नेहा के साथ अकेले में कुछ समय बिताना चाहता हूँ ।
मैं साथ में चलता पर मेरे वो चिपकूँ दोस्त है और घर के क़रीब रहते है उनके साथ में ही जाना पड़ेगा नहीं तो घर वाले भी दस सवाल करेंगे ,
मोहनी दोनों को विदा कर के चली गई
एक महिने बाद कालेज में फिर स्नेहा से मुलाक़ात हुई दोनों सहेलियाँ गले मिली .
और लेक्चर अटैंड कर कैंटीन में आकर बैठ गई ।
मोहनी ने पूछा कौन सी पिक्चर देखी ...कहाँ कहाँ घूमें . शादी की बात की या नहीं ..मोहनी ने एक एक कर सवालों की झड़ी लगा दी ।
स्नेहा बोली हमने सब बात कर ली फ़ाइनल परीक्षा दे कर वह माँ से बात करेगा , और नौकरी लगते ही शादी ।
वह तुम तो बड़ी उस्ताद हो इतनी
जल्दी शादी तीन साल हो गये प्यार करते शादी करते करते चार साल हो जायेगें ।
अच्छा इश्क पुराना है और हम को खबर अब लगी , शादी में बुलाना मत भूलना मोहनी ने कहाँ की पीछे से प्रकाश बोला किसकी शादी ।
किसी की नहीं मोहनी के भाई की बात चल रही थी स्नेहा ने बात सम्भाल ली , लेक्चर का समय हो गया है चले ...
और तीनों अपनी अपनी क्लास रुम में।
बस इसी तरह हँसते हँसाते दिन कट रहे थे कि एक दिन प्रकाश ने कहाँ घर से बुलावा आया है माँ की तबियत ठीक नहीं है , रात की बस से घर जा रहा हूँ ..
सब ठीक रहा तो दो दिन में आ जाऊगा ...
स्नेहा को उदास देंख प्रकाश बोला मैं हमेशा के लिए नहीं जा रहा दो चार दिनमें आजाऊंगा मेडम जी हँसो नहीं तो मेरा मन नहीं लगेगा ,
सारे लोग हंसने लगे ,
मोहनी ने कहाँ प्रकाश तुम जाओ स्नेहा का ख़्याल मैं रखूगी ..
प्रकाश को गये आज १२दिन गये कोई फ़ोन नहीं कुछ नहीं ..
स्नेहा बहुत परेशान फ़ोन कर कर के एक भी फ़ोन का जवाब नहीदिया प्रकाश ने तब स्नेहा ने हिम्मत कर प्रकाश के दोस्तों को फ़ोन लगाया और पूछा कहाँ हो तोउन्होने बताया हम गाँव आये थे आज ही आये हैं कल से कालेज आयेंगे प्रकाश कहाँ है
वह तो शादी के बाद कुलदेवी के दर्शन करने गया है क्या ?
प्रकाश की शादी कब मेडम वह शादी करने ही तो गांव गया था आप को नहीं मालूम नही.. शांपिग भी कर के यहाँ से ही गया ..
स्नेहा ज़ोर से चीखी नहीं तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते और वह बेहोश हो गई ..
कई लोग दौड कर स्नेहा को उठा कर बैठाया और मूंह पर पानी के छींटे मारे उसे होश आया तो सबको देख बोली कुछ नहीं आज व्रत किया था न इसलिये चक्कर आ गयें मैं ठीक हूँ ,
तब तक मोहनी भी आ गई क्या हुआ ..
कुछ नहीं बोल कर स्नेहा मोहनी को बोली चल मेरे साथ और उसे लेकर हास्टल के रुम में आकर बहुत रोई ,
क्या हुआ कुछ बता तो मोहनी समझ नहीं पा रही थी ..
स्नेहा बोली धोखा हो गया वो बेवफ़ा निकला ..मेरी ज़िंदगी बर्बाद कर गया ..
किस की बात कर रही है स्नेहा
वो बेवफ़ा और कौन .....प्रकाश
क्या प्रकाश तो माँ को देखने गया है न विस्मय से मोहनी ने कहाँ
झूठ बोल कर गया कैसी नौटंकी कर रहा था जाते समय ही उसे पता था पर नाटक कर रहा था ...
पर मैं चुप नहीं बैठूँगी उसके घर जाऊँगी ..सबको सब बताऊँगी
क्या बतायेगी अपनी मर्ज़ी से किया है न उसमें तेरे हाथ पाँव जोड़े थे की मुझसे प्यार कर तू पंसद करती थी न उसे फिर अब क्यो ? रोना , हो सकता है, उसकी मजबूरी रही हो ।
मोहनी ने तसल्ली दी जीवन ख़त्म नहीं हुआ है और प्रकाश मिल जायेगा , पढ़ने पर ध्यान दे नौकरी कर माँ बाप की सेवा कर बहुत काम है जरुरी इश्क के अलावा समझी उठ खाना खाने चलते है , तू हाथ मूहं धो कर हुलिया सुधार ,
मैं प्रकाश को फ़ोन लगाकर बात करती हूँ , मुझे नम्बर दे ..
स्नेहा नम्बर देकर बाथरूम में नहाने चली गई तो मोहनी ने प्रकाश को फ़ोन लगाया काफ़ी देर रिंग बजने के बाद प्रकाश ने फ़ोन उठाया और हलो कहा मोहिनी ने कहा तुम स्नेहा का फ़ोन क्यों नहीं उठाते क्या तुमने शादी कर ली आज मालूम हुआ है तुमको पता है यह ख़बर मिलने पर स्नेहा की क्या हालत थी इतनी मुश्किल से हम लोगों ने उसे संभाला है । प्रकाश बहुत मुश्किल से बोला क्या करता।
बहुत मुसिबते थी माँ पिता का दवाब था घर की माली हालत बहुत ख़राब थी यह शादी कर के मैं माँ बाप को और घर की हालत को सुधारने में मदद कर सका मैं समझता हूँ स्नेहा कि क्या हालत हो रही होगी उसको बता कर इसलिए नहीं आया कि वह बर्दाश्त नहीं कर पाती ।मैं अब कभी कॉलेज नहीं आऊँगा क्योंकि मुझमें इतनी हिम्मत नहीं कि मैंस्नेहा का सामना कर सकूं मैं जानता हूँ मुझे बहुत याद करती है और मेरे बिना नहीं रह पाईगी , पर पहले तुम उसे समझाओ कहना मैं प्यार करता हूँ जीदंगी भर करता रहूँगा ।
पर कभी जीवन , हमें इस मोड़ पर ला खड़ा करता है हम चाह कर भी छोड़ नहीं पाते हैं , हमें उस राह पर चलना पड़ता है मैं बहुत दुखी हूँ पर मुझमें इतनी हिम्मत नहीं है कि मैं उसका सामना कर पाऊं यदि वह कहेगी तो मैं मिलने ज़रूर आऊँगा, अब में आगे की पढ़ाई छोड़ रहा हूँ क्योंकि मुझे मेरे ससुर का बिज़नेस संभालना है और मुझे , मुझे उन लोगों के कहे अनुसार चलना पड़ेगा क्योंकि मुझे उन्होंने अपना पूरा बिज़नेस सौंप दिया हैमेरी पत्नी के अलावा उनके घर में कोई नहीं है ये लड़की थी इकलौती इसलिए मुझे यह शादी करनी पड़ी मैं अपने प्यार के लिए पूरे घर वालों को दुखी नहीं कर सकता था , स्नेहा से कहना मुझे माफ़ कर दे ।मैं फोन रख रहा हूँ , कल बात करुगा ।
स्नेहा जोबड़ी देर से फ़ोन पर दोनों की बात सुन रही थी बोली क्या कहा , प्रकाश ने कोई बहाना बना दिया होगा ।
मोहिनी ने कहा नहीं वह वहाँ मजबूर था।
और फ़ोन पर प्रकाश से हुई सारी बात बता दी और कहा कि तुम चाहोगी तो वह तुमसे मिलने आएगा और काफ़ी माफ़ी माँग रहा था , अब चलो हम खाना खाते हैं फिर मैं कल बात करूँगी तब तुम्हारी बात करा दूगी स्नेहा बोली मुझे अब उसकी ना तो शकल देखनी है और न बात करनी है ।
कई दिनों तक मोहिनी स्नेहा को समझाती रही और भी बहुत सारी बातें जीवन की उसे बताती रही है इस तरहा दस दिन बीत गए इस बीच में कई बार प्रकाश ने मोहिनी को फ़ोन किया और स्नेहा से बात करने की कोशिश की पर स्नेहा ने बेवफ़ा से बात करने से मना कर दिया बहरहाल अब थोड़ा थोड़ा वह संभालने लगी थी और उसने ईश्वर पर सब छोड़ दिया था । जो होता है ईश्वर की मर्ज़ी से ही होता है कॉलेज में मन लगाकर पढ़ाई शुरू कर दी थी फिर भी रह रहकर प्रकाश का चेहरा उसके सामने आ ही जाता था। ईश्वर की कुछ ऐसी कृपा हुई कि वह नौकरी के लिए जहां अप्लाई किया था उसको काल आ गया , वह आज बहुत ख़ुश थी ।
कालेज बंद होने के बाद ही वह नौकरी ज्वाइन करनी थी , मोहिनी ने कहा जाने के पहले एक बार प्रकाश से मिलकर दिल साफ़ कर ले , तुम एक अच्छे दोस्त बन का ज़िंदगी में रह सकते हो यह बात स्नेहा को भी ठीक लगी और उसने कहा फ़ोन लगा क्या बात करूँ कल से एग्ज़ाम शुरू हो रही है बेकार में मन ख़राब नहीं करना ।
तब तक मोहिनी ने प्रकाश को फ़ोन लगाकर उसके हाथ में पकड़ा दिया दोनों ही कुछ देर ख़ामोश रहे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहें पर दिल के अंदर बवंडर मचा हुआ था प्रकाश ने ही पहल कि हाए कैसी हो , ठीक , हूँ , कुछ तो बोलो क्या बोलू तुमने मुझे बोलने लायक रखा ही कहा है ? अब कुछ कह कर भी क्या फ़ायदा पढ़ाई क्यों छोड़ दी स्नेहा ने पूछा ..
प्रकाश ने कहा ससुर जी का बिज़नेस संभालना है कोई घर पर है नहीं उनकी तबियत ठीक नहीं रहती है सब मुझे देखना है शादी भी इसलिए अचानक ही की तुम्हें बताना चाहता था पर मेरी हिम्मत नहीं हुई तुम्हारा सामना करने की , तभी स्नेहा ने कहा मेरे में हिम्मत है मैं तुमको 1 बुरी ख़बर देना चाहती हूँ सोचा था कभी नहीं बताउंगी पर आज बताना चाहती हूँ वह यह की मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनने बाली हूँ पर अब परीक्षा के बाद गर्भपात करवारही हूँ। क्योंकि मेरी नौकरी लग गई है , नौकरी कर शांति से जीवन जीना चाहती हूँ , प्रकाश बोला मैं हूँ न ऐसा हरगिज़ नहीं करोगी हमारे प्यार की निशानी इस दुनिया में आएगी मैंने तुम्हें कोई धोखा नहीं दिया है तुम चाहो तो मैं तुम से दूसरी शादी कर सकता हूँ ।स्नेह ने कहा ऐसा हरगिज़ नहीं हो सकता तुम मर्द लोग दोनों हाथ में लड्डू खाना चाहते हो मैं स्वाभिमान से जीना चाहती हूँ दूसरी शादी करके भी रहूंगी तो मैं तुम्हारी रखैल ही न सम्मान व इज़्ज़त तो नही मिलेगी जिसकी मैं हक़दार हूँ , तो मुझे शादी करना ही नहीं है मैं अकेले ही यह जीवन बोहोत अच्छे से काट सकती हूँ और उसने फ़ोनरखते हुये कहाँ तुम्हारी बेवफ़ाई ही काफ़ी है जीवन में बस अलविदा अब हम कभी न फ़ोन करेंगेऔर न मिलेंगी में तुम्हें तुम्हारी बेवफ़ाई
को हमेशा दिल में सजा कर रखूगी ताकी दुबारा कोई मुझे छल न सके ..सदा के लिये अलविदा और फ़ोन काट दिया और मोहिनी को बोली कल से नया जीवन शुरू मन लगा कर पढ़ाई करनी है मुझे जीवन में अब आगे देखना है , पीछे की सारी चीज़ें भूलना चाहती हूँ जीवन में प्यार और शादी से भी बहुत कुछ ज़रूरी है वो काम करूँगी आज के बाद मेरे सामने प्रकाश का नाम मत लेना मैं उसे इसी वक़्त दफ़ना चूकी हूँ , और नई ज़िंदगी की शुरुआत कर दी है ,
मोहिनी ने देखा आज उसके सामने एकनई स्नेहा खड़ी थी जिसमें अपने आपपर विश्वास और अपने आप पर गुरुर था और कुछ करने की एक चाह उसे बोहोत अच्छा लगा स्नेहा का यह रूप देख कर , मोहनी ने कहा ठीक है चलो हम पढ़ाई करते हैं,
कल की भोर हमारे लिये नया उजाला ले कर आयेगी।
डॉ-अलका पांन्डेय
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