हिमेन की फ्लाइट रात नौ बजे है लेकिन ज़्यादा ट्रैफिक के चलते वह एयरपोर्ट 06:30Pm पर ही पहुँच गया. सभी आवश्यक फॉर्मेलिटी के बाद वह वेटिंग प्लेस पर आकर एक बेंच पर बैठ गया और अपना फोन चैक करने लगा. अभी हिमेन को कुछ ही पल हुए थे कि उसके कानों में किसी युवती की आवाज़ पड़ी
"हाई हिमेन.... कैसे हो "हिमेन ने देखा तो वह युवती रेनू थी. हिमेन का दिमाग़ जैसे सुन्न हो गया.
"तुम..... यहाँ क्या कर रही हो... "
"एयरपोर्ट पर लोग क्या करने आते है...? "रेनू ने व्यंग्य करते हुए कहा
हिमेन बोला "तुम्हारी ज़ुबान आज भी मुंहफट है.. जैसी कॉलेज के समय थी. तुम मेरी बात का सीधा जवाब भी दे सकती थी "
"ओके सॉरी बाबा.... मैं usa जा रही हूँ वहाँ मेरे हसबैंड और एक बेटा है ... और तुम कहाँ जा रहे हो? "
"मैं मुंबई जा रहा हूँ.. मेरी जॉब है वहाँ... ""जॉब..... "
"हाँ रेनू.. जॉब.. तुम्हें क्या लगा था की मेरे जैसे मिडीओकर स्टूडेंट को कभी अच्छी जॉब नहीं मिल सकती... अरे हाँ.. तुमने तो मुझे छोड़ा ही इसलिए था ना कि तुम्हें लगता था कि मैं ज़िन्दगी में कभी कामयाब नहीं हो पाऊँगा. लेकिन देखो अपने बैच सेकंड हाईएस्ट पैड जॉब मेरे पास है.इंडियन करेंसी के हिसाब से तुम्हारे हसबैंड से ज़्यादा कमाता हूँ मैं. तुमने तो हमारे सीनियर राकेश से शादी की थी ना क्योकि उसे mnc कंपनी में प्लेसमेंट मिली थी "
"हिमेन..... तुम मुझे ना तब समझ पाए थे और ना आज समझ रहे हो. उस वक़्त मेरी मज़बूरी थी राकेश से शादी करना.मेरे पापा पर बहुत बड़ा बिज़नेस लोन था और राकेश के पापा ने हमारी हेल्प की थी. मुझे नहीं पता था कि राकेश मुझे पसंद करता है.राकेश के पापा ने हमारी हेल्प की थी इसलिए मैं राकेश से शादी के प्रस्ताव को मना नहीं कर पायी."
"चलो मान लेता हूँ तुम्हारी मज़बूरी थी लेकिन तुमने मुझे लूज़र और नाकारा कहकर सबके सामने क्यों जलील किया. सिर्फ इसलिए ना कि मैं एक मिडिल क्लास से बिलोंग करता था और एकेडेमिक्स में हमेशा मेरे मार्क्स मीडियम ही आते थे "
"हिमेन ऐसा कुछ नहीं था... यकीन करो "
"एक बार तुमपर यकीन करके देखा था. यहाँ तक की तुम्हारे लिए अपना करियर तक दांव पर रख दिया था. अब और नहीं, मेरे लिए तुम तब भी बेवफा थी और आज भी..... हो "
तभी हिमेन की फ्लाइट की अनाउंसमेंट हुई और हिमेन ने अपना बैग उठा लिया और चलने के लिए तैयार हुआ.
"हिमेन बस एक बार मेरी बात सुन लो फिर चले जाना "
"नहीं मुझे तुम्हारी कोई बात नहीं सुननी. जैसी भी हो, जहाँ भी हो.. ख़ुश रहो. मुझे देर हो रही है मैं चलता हूँ "और इतना कहकर हिमेन चला गया. रेनू हिमेन को जाते हुए देखती रही. शायद रेनू को भी लग रहा था की थी... वो बेवफा.
द्वारा - सुरेंद्र सैनी बवानीवाल "उड़ता "
713/16, छावनी झज्जर (हरियाणा )
0 टिप्पणियाँ