दीदार-अलका


मेरा ख़्वाब गगन से उतरा
सामने दीदार प्रियतम का हुआ 


मुलाक़ात का नशा नयनो में छलक उठा 
दीदार पिया का ,मन ख़ुशी से झूम उठा !!


बस इतना भर याद रहा ! 
लग गये ख़ुशियों के मेले !!


बादल समा गयें मेरे नयनो में 
झर झर झर होने लगी बरसात !!


कितना तरसाया तडफाया 
दिलदार की ख़ातिर !
वक्त के हाथो की हम
बने कठपुतली तेरे ख़ातिर !!


तेरा खुमार मुझ पर कुछ ऐसा छाया !
कहीं कोई मुझको तनिक न भाया !!


हमारी चाहत पर ज़माना रश्क करने लगा 
तेरा दिदार क्या हुआ चेहरा खिल गया !!


ये सुर्ख़ ग़ुलाम प्रेम के प्रतिक अनुपम उपहार है !
अनकहे लफ्जो  का इसमे इजहार है !!


ये साथ तेरा छूटे न ,
तू मुझ से रुठे न !
हाथो में हाथ हो ,
जीवन भर का साथ हो !!


ईश्वर ने दिया आशिर्वाद
तेरा दीदार कराया !
फ़िज़ाओं ने महकाया चमन ,
मुझे तेरा रुप बहुत भया !!


मेरा ख़्वाब गगन से उतरा । 
सामने दीदार प्रियतम का हुआ ।।


डॉ अलका पाण्डेय



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