फिर से बरसात आ रहा है ,मुश्किल के दिन । जाने क्यों ,छत की मरम्मत मालिक क्यों नहीं कराता है। 2 साल से टाल रहा है, ऊपर से डेढ़ सो रुपए महीने का किराया भी बढ़ा दिया ।इस शहर में ₹2150 में से इससे बेहतर में कमरा मिलना भी बहुत मुश्किल है। ऐसा सोचते सोचते माखन का चेहरा काला पड़ रहा था। बच्ची सोनी भी बड़ी हो गई है ,बेटा कमल की लंबाई छोटी रह जाती है तो हर सुबह उसे हर रोज लांघकर दरवाजे को खोलने की जरूरत नहीं पड़ती। 8 साल का बच्चा 5 फुट 8 इंच......
भगवान और लंबाई मत बढ़ाओ इसकी ऊपर से मुखी सुखा खाकर भी शरीर से फैल रही है ।छोटे से कमरे में कैसे चलेगा गुजारा । रात के 2:00 बज गए हैं, माखन को नींद नहीं आ रही है । चिंता सता रही है ।पगार ₹50 साल का बढ़ता है। ₹5500 में मर भी नहीं सकता मै तो तभी बिजली कड़की....हैत भगवान बारिश मत कराओ,लगता है भगवान ने बाबूजी की बात सुन ली ।पर गांव में कहां ऐसी समस्या।
मूसलाधार बारिश शुरू हुई ,माखन सोनी से कहा - बेटी उठ ,जा भाई के बगल में सो जा पानी की एक-एक बूंद माखन के आंख पर गिरती ,पता नहीं चला कब आंसू हर बूंद के साथ घुलने लगा......
प्रवीण राही(8860213526)
0 टिप्पणियाँ