गंगा दशहरा पर गाजीपुर से उपेन्‍द्र की प्रस्‍तुति

गंगा जी के निर्मल पानी कहेलाऽ,
सुनी गजबे कहानी हो।
अजबे कहानी सुनी गजबे कहानी ।। 
गंगा जी के - - - - 


गंगा जी मे डुबकी लगावे तरिऽ  जाला ।
पाप सन्ताप सारा मन के धुली जाला।।
      शोभे धरा पे मनमानी ।।।
       कहेली सुनी - - - 


सरग से गंगा मइया धरती प अइली।
शंकर शिवदानी के जटा मे अझुरइली।।
      भागीरथ ले अइले महाज्ञानी ।।।।।।।।
        कहेली सुनी - - - - 


पपियन के धोइ पाप नाशनी कहइली।
पतित पावनी गंगा मइया सगरो समइली।।
         तिरे बहे पवन रूत सुहानी।।।।।।।
         कहेली सुनी - - - - 


सबसे पावन होला गंगा जी के पनिया।
जन जन के प्यास बुझाये महरनिया।।
        पूजा करे संगे दुनो परानी।।।।।।।
        कहेली  सुनी - - - - 


उपेन्द्र अजनबी 
सेवराई गाजीपुर उ प्र 
मो - 7985797683



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