तुमको भगीरथ ले आये,
बड़े जतन कर,बड़े नमन कर,
हमने केवल पाप ही धोए,
और कहें हर हर गंगे,,,,
कलकल करती जीवन देती,
हरियाए तुमसे ही रहेते,
हमने कूड़ा कचरा डाला,
और कहें हर हर गंगे,,,,
शंकर की तुम जटा में रहतीं,
चंदन कुमकुम खूब लगाते,
पर पॉलीथिन जल में डालें,
और कहें हर हर गंगे,,,
बड़े भाग तन काशी छोड़ें,
समझें अब तो स्वर्ग मिलेगा,
पर नाले सब तुम में समाते,
और कहें हर हर गंगे,,,,
आखिर तुम कब तक सब सहतीं,
सहने की सीमा होती है,
किया करोना ने जल उजला,
अब कहो बच्चऊ हर गंगे,,,,,
स्व रचित कविता
माया कौल ,
पता,,,
मानस कौल
400 रॉयल कृष्णा कालोनी
ए बी रोड
राऊ
इंदौर म प्र
Pin,,453331
Mob,,,9893620682
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