गंगा दशहरा पर पटना से इंदु की प्रस्‍तुति

माँ गंगे तेरी अमृत धारा
निश्छल,शीतल,निर्मल
निरन्तर बहती, क्या कहती
है तेरी धारा l
है ये युगों - युगों से  बहता 
यह पुण्य प्रवाह हमारा l
अविरल है यह तप का फल, 
है यह प्रवाह प्रबल की धारा। 


शुभ संस्कृति की परिचायक
 मां तेरा ये  निर्मल आंचल l
गंगा भूमि गान से गूँजता 
गगन स्नेह नीर से  पुष्पित-
पल्लवित करता हैं,
झूमते - गाते सारे सुमन ll
जन्मसिद्ध भावना स्वधर्म का, 
रोम -रोम मे ऐसा संस्कार
रमा हो, 
आरती उतारते प्राणदीप हो मगन,
स्नेह नीर से सदा फूलते रहे भाव के
सुमन ll


माला है ये मोतियों सुशोभित पंक्तियाँ, 
नगर - नगर ग्राम से संग्रहित शक्तियाँ, 
लक्ष्य है हर रूप माँ तेरा का हो सुन्दर 
तन स्नेह नीर से सदा भूमि बने उर्वर  ll


ऐसी शक्ति सबकी प्रगति समर्थ हो, 
धर्म आसरा लिये मोक्ष काम अर्थ हो, 
पुण्य भूमि आज फिर ज्ञान का मधुबन
रहे, 
माँ गंगा के गान से गूँजता गगन रहे, 
तेरे स्नेह नीर से माँ  भूमि सदा उर्वर रहे ll



 माँ गंगा की अविरल धारा सीख हमें
ये देती है...। 
जीवन देने का दूसरा नाम है सबकी
झोली भरती है.। 
जीतना हो  देने का मौका ढूंढ सकते हैं । 
मानव तो कुदरत का अमोल उपहार है.। 


जीवन को समृद्ध बना, औरों के काम
आ सकते हैं। 
नहीं दूसरा कोई विकल्प मानव होने
का है। 
यह... 
जीवन  प्रचुरता का दूसरा नाम है..। 
ये तब होता है जब हम उसी तरह
देते हैं !!


किसी को  प्रेम देंगे तो ...। 
वापस बहुत प्रेम मिलेगा। 


किसी को सम्मान देंगे तो 
 बहुत सम्मान मिलेगा। 


जीवन एक अनुगूंज है पहचानने
की आवश्यकता है जो हम देते  हैं
वापस हमारी ओर आता है। 


एक दिन ऐसा जरूर आएगा...I 
जब सौभाग्य आपको ढूंढेगा। 


तब वह वो दिन दूर नहीं होगा
जब सफलता पता पूछती आयेगी.। 


मानवीय मूल्यों को पहचान जब
मानवीय कार्य होता है तो अनेक
जन्मों के पुण्य जागृत होकर....
 खोजना शुरू कर देते हैं। 


 तब इर्द गिर्द...


हर चीज सिर्फ यह याद दिलाती है...कि...
आपकी जरूरत हर किसी को है....
अपनों की आँखों में कभी गौर से देखें ..
वो आपसे निश्चिंत है...।


जीवन के हर पल में एक रहस्य होता है..। 
जीवन का हर पल अद्भुत होता है!
क्योंकि हर प्राणी कुदरत का एक अनमोल
बेमिसाल उपहार है।
मानवता ही परम धर्म है। 

इंदु उपाध्याय पटना



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