ना ..ना..ना
सिर्फ हवा,पानी और
रोटी ही जरूरी नहीं है
ज़िन्दगी के लिए ।
जरूरी है प्रेम भी
उसके न होने पर
कोई मर तो नहीं जाता।
पर वो अगर ना हो तो
कोई जी भी नहीं पाता।।
यकीन मानना
जब नहीं होता है
ज़िन्दगी में प्रेम
तो भूल जाते हैं सपने
रास्ता
आपकी नींदों तक पहुंचने का।।
सच मानिए
नहीं होता जब प्रेम
तो
नहीं होती हैं किसी रेस्टोरेंट में
कोई चाय, कोई कॉफी
ठंडी
किसी लरजते कांपते से
इंतजार में।।
नहीं होता है प्रेम तो
भूल जाते हैं
वे सफ़ेद खरगोश भी
सरगोशियां करना
मौसमों के कानों में ।।
सच कहूं तो
जब नहीं होता है ,
ज़िन्दगी में प्रेम
तो अन्दर ' बहुत कुछ ' मर जाता है
और
इस ' बहुत कुछ ' का
कोई नाम भी नहीं होता।।
सो ज़िन्दगी में गुंजाइश रखो
एक अदद प्रेम की
चाहे वह घर से हो , कुदरत से या
पशु पक्षियों से
या फिर किसी औरत से /मर्द से
करो ,प्रेम करो ,जी भर कर करो
अगर सचमुच
जीना चाहते हो तो ।
मनुष्य बने रहना
चाहते हो तो ।
सुभाषचंदर, नईदिल्ली
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