मेरे गाँव में-मेघा

जिन्दगी सुकून से गुजर जाती मेरे गाँव में,, 
रोम रोम खिल उठता बेठकर पेड़ो कि छाँव में,, 


जहा चिड़िया रानी सुर अपना सुनाती हैं, 
नानी माँ अपनी कहानिया बताती हैं, 
 चुभता भी ना काटां कभी पाँव में,
हर  तरफ़ खुशिहाली रहती हैं मेरे गाँव में,, 


मन्द मन्द हवा बहती हैं,
जागो उठो मुहँ धोलो ये कहती हैं, 
डाले झूला ओर झूले पीपल कि छाँव में,
घर पापा के नाम से पहचाने जाते हैं मेरे गाँव में,,


कुदरत का अजीब प्रदर्शन, 
सुबह उठते हि करे इश्वर का  दर्शन, 
वो मजा ही क्या किसी ओर अलाव में,
पल पल खुशियो का गुजर जाती हैं मेरे गाँव में,, 


मेघा मिश्रा, विदिशा मध्‍यप्रदेश



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