पर्यावरण-नीता


प्रकृति का नियम सीधा-साधा सा है ना कोई छल ना कोई कपट उसे जो हम देते हैं बदले में वही हम पाते हैं।यह बात सागर के समझ नहीं आती थी। उसे क्रिकेट खेलने का बहुत शौक था मगर सही जगह नहीं मिलने के कारण उसने अपने गार्डन में लगे हुए पेड़ पौधे उखाड़ कर अलग कर दिए और उसे क्रिकेट का मैदान बना लिया। रोजाना सुबह-शाम मोहल्ले के बच्चों के साथ क्रिकेट खेलने लगा। एक दिन अचानक उस सागर की बॉल दूर एक मकान के सामने चली जाती है वह दौड़कर उठाने जाता है तभी वहां पेड़ों के झुरमुट में उसे एक लड़की बैठी हुई दिखाई देती है उसका बड़ा ही खूबसूरत बगीचा था। सागर ने सोचा जरूर किसी लड़की ने मेरी बॉल उठाई होगी। उसने पास जाकर पूछा मैंने यहां पूरी जगह अपनी बॉल को ढूंढ लिया कहीं भी नहीं है क्या तुमने मेरी बाल छिपाई। लड़की ने कहा नहीं मुझे नहीं पता। क्रोध के स्वर में सागर ने फिर पूछा सच-सच बताओ नहीं तो मैं तुम्हारे पूरे पेड़ पौधे नष्ट कर दूंगा लड़की ने कहा नहीं नहीं ऐसा मत करना तुम्हारी बोल सच में मैंने नहीं छुपाई। यह बगीचा मेरा मैंने बहुत मेहनत से तैयार किया है मुझे तो यह भी नहीं पता यह फूल किस रंग के हैं क्या तुम मुझे बता सकते हो सागर को आश्चर्य हुआ कि यह क्या कह रही है तभी उसने पूछा कि तुम ऐसा क्यों कह रही हो लड़की की आंखें भर आई उसने कहा मैं देख नहीं सकती। सागर ने कहा तुम देख नहीं सकती फिर तुमने यह बगीचा क्यों लगाया। सागर थोड़ा नरमी से पेश आया। मैं तुम्हें रोज यहां बैठा हुआ देखता हूं क्या तुम्हारा घर यहीं है लड़की ने कहा हां मैं यहां अकेली रहती हूं मेरे बाबा माली है वह सरकारी बंगले में माली का काम करते हैं तभी से मुझे यह बाग बगीचा लगाने का बहुत शौक है मैं इन पेड़ पौधों से रोज बात करती हूं। सागर ने कहा अब हम तुम्हें परेशान नहीं करेंगे क्या तुम मुझे पेड़ पौधों के बारे में बता सकती हो लड़की ने कहा मैं सब बताऊंगी पर पहले तुम मुझे मेरे पौधे के फूलों के कौन-कौन से रंग है वह बताओ सागर सागर ने बताया लाल गुलाब है पीला गुलाब है सफेद गुलाब है इस तरह वह सारे रंग बताने लगा सागर को भी जैसे पेड़ पौधों का और उस लड़की का साथ अच्छा लग रहा था वह मन ही मन सोचने लगा कि नेत्रहीन होकर भी यह पेड़ पौधों की इतनी अच्छी देखरेख कर सकती है और मैंने अपना ही बगीचा अपने स्वार्थ के लिए उजाड़ दिया उसने प्रण किया मैं भी इस लड़की की मदद से अपने बगीचे को बहुत सुंदर बनाऊंगा लड़की बोली क्या सोच रहे हो मुझे बताओ मेरे आम के पेड़ में कितने आम है सागर हंसता हुआ बोला अरे बाबा यह तो बहुत है मैं ऊपर चढ़कर तुमको आम तोड़ कर देता हूं। लड़की ने उसे कहा देखा यह पेड़ पौधे हमें फल देते हैं हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए पेड़ पौधे हवा पानी यह सब अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरण का रूप है इनके बिना हम जी नहीं सकते यह हमारे जीवन के सहारे हैं सागर को सारी बात समझ आई और उसने उसी दिन अपने बगीचे मैं मिट्टी तैयार की और एक खूबसूरत बगीचा लगाने का संकल्प लिया। वह सोचने लगा नेत्रहीन होकर भी यह लड़की मुझे बहुत बड़ी सीख दे गई। 
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नीता चतुर्वेदी, विदिशा मध्‍यप्रदेश



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